अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 34/ मन्त्र 1
इ॒यं वी॒रुन्मधु॑जाता॒ मधु॑ना त्वा खनामसि। मधो॒रधि॒ प्रजा॑तासि॒ सा नो॒ मधु॑मतस्कृधि ॥
स्वर सहित पद पाठइ॒यम् । वी॒रुत् । मधु॑ऽजाता । मधु॑ना । त्वा॒ । ख॒ना॒म॒सि॒ । मधो॑: । अधि॑ । प्रऽजा॑ता । अ॒सि॒ । सा । न॒: । मधु॑ऽमत: । कृ॒धि॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
इयं वीरुन्मधुजाता मधुना त्वा खनामसि। मधोरधि प्रजातासि सा नो मधुमतस्कृधि ॥
स्वर रहित पद पाठइयम् । वीरुत् । मधुऽजाता । मधुना । त्वा । खनामसि । मधो: । अधि । प्रऽजाता । असि । सा । न: । मधुऽमत: । कृधि ॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
विद्या की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थ
(इयम्) यह तू (वीरुत्) बढ़ती हुई [विद्या] (मधुजाता) ज्ञान से उत्पन्न हुई है, (मधुना) ज्ञान के साथ (त्वा) तुझको (खनामसि) हम खोदते हैं। (मधोः अधि) विद्या से (प्रजाता असि) तू जन्मी है (सा) सो तू (नः) हमको (मधुमतः) उत्तम विद्यावाले (कृधि) कर ॥१॥ दूसरा अर्थ−(इयम् वीरुत्) यह तू फैलती हुई बेल (मधुजाता) मधु (शहद) से उत्पन्न हुई है (मधुना) मधु के साथ (त्वा) तुझको (खनामसि) हम खोदते हैं। (मधोः अधि) वसन्त ऋतु से (प्रजाता असि) तू जन्मी है, (सा) सो तू (नः) हमको (मधुमतः) मधु रसवाले (कृधि) कर ॥१॥
भावार्थ
मधु शब्द [मन जानना−उ, न=ध] का अर्थ ज्ञान है। धात्वर्थ के अनुसार यह आशय है कि शिक्षा के ग्रहण, अभ्यास, अन्वेषण और परीक्षण से मनुष्य को उत्तम सुखदायक विद्या मिलती है ॥१॥ दूसरा भावार्थ−मधु शब्द उसी धातु [मन जानना] से सिद्ध होकर [शहद] के रस का वाचक है। इस अर्थ में विद्या को मधुलता अर्थात् शहद की बेल वा प्रेमलता माना है। (मधु) शहद वसन्त ऋतु में अनेक पुष्पों के रस से मधुमक्षिकाओं द्वारा मिलता है, इसी प्रकार (मधुना) प्रेमरस के साथ (खोदने) अर्थात् अन्वेषण और परीक्षण से विद्वान् लोग अनेक विद्वानों से विद्यारूप मधु को पाकर (मधु) आनन्दरस का भोग करते हैं ॥१॥
टिप्पणी
१−इयम्। पुरोवर्तिनी त्वम्। वीरुत्। १।३२।१। विरोहणशीला विस्तृता लतारूपा विद्या। मधु-जाता। १।४।१। मन ज्ञाने-उ, धश्चान्तादेशः। जनी-क्त। मधुनो ज्ञानात् क्षौद्राद् वा यथा उत्पन्ना। मधुना। १।४।१। ज्ञानेन, क्षौद्ररसेन यथा वा। त्वा। त्वाम् वीरुधम्। खनामसि। खनु अवदारणे−लट्, मस इत्वम्। खनामः, अवदारयामः, अन्वेषणेन प्राप्नुमः। मधोः। पुंलिङ्गे। वसन्तर्तुसकाशात्। स्त्रियाम्। विद्यायाः सकाशात्। अधि। पञ्चम्यर्थानुवादी। प्र-जाता। प्रादुर्भूता। असि। वर्त्तसे। सा। सा त्वम्। नः। अस्मान्। मधु-मतः। तदस्यास्त्यस्मिन्निति मतुप्। पा० ५।२।९४। इति प्रशंसायां मतुप्। प्रशस्तज्ञानयुक्तान्, क्षौद्ररसोपेतान् वा यथा। कृधि। कुरु ॥
पदार्थ
१. (इयं वीरुत्) = यह इक्षुदण्ड-गन्ने का पौधा (मधुजाता) = [मधुजातं यस्याम्] माधुर्य के विकासवाला हुआ है। हे इक्षुदण्ड! (त्वा) = तुझे (मधुना) = मधुरता के हेतु से-माधुर्य को प्राप्त करने के लिए (खनामसि) = खोदते हैं। २. (मधो:) = माधुर्य के हेतु से तू (अधिप्रजाता असि) = आधिक्येन उत्पन्न हुआ है। (सा) = वह तू (न:) = हमें (मधुमतः कृधि) = माधुर्यवाला कर । तेरे सेवन से हम भी माधुर्यवाले बनें। हमारा सारा व्यवहार माधुर्य को लिये हुए हो।
भावार्थ
इक्षुदण्ड मधुर-ही-मधुर है। इसका सेवन हमें भी मधुर बनाए।
भाषार्थ
(इयम्) यह (वीरुत्) विरोहणशीला लता ( मधुजाता) मधुवत् पैदा हुई है, (मधुना) मधुर विधि द्वारा (त्वा) तुझे (खनामसि) हम खोदते हैं। (मधोरधि) मधुर खण्ड से (प्रजाता असि) तू पैदा हुई है, (सा) वह तू (नः) हमें (मधुमतः) मधुर (कृधि) कर।
टिप्पणी
[यह लता है गन्ना१। गन्ना जैसे सर्वतोभावेन मधुर होता है वैसे व्यक्ति सर्वतोभावेन मधुर होने की अभिलाषा प्रकट करता है, मनसा, वाचा, कर्मणा वह मधुर होना चाहता है। गन्ना गन्ने के मधुर खण्ड अर्थात टुकड़े से पैदा होता है। गन्ने को वीरुध् अर्थात् लता कहा है, जैसे लता लम्बी होती है वैसे गन्ना भी लम्बा होता है।] [१. इक्षुणा (मन्त्र ५)।]
इंग्लिश (4)
Subject
Life’s Honey
Meaning
This herb is born of the honey sweets of earth. O sweet herb, we take you up with the honey sweet of love and gratitude. You are grown and matured by the honeyed efficacy of life and nature’s evolution. Such as you are, pray sweeten our life with the honey sweet of joy and graces of culture. (Honey, Madhu, has been interpreted as metaphor of the sweetness of existence in life, knowledge, divine awareness, indeed the soul itself. All verses of this hymn can be interpreted in this perspective. Reference may also be made to Brihadaranyakopanishad 2, 5, in which it is said that this earth and all her creatures, the waters, heat and light, wind and all other kinds of energy, the sun, the quarters of space, the moon, thunder and lightning, clouds and the sky, all space, Dharma, truth, humanity the soul and the cosmic soul, all is the honeyed expression and manifestation of divinity. And this knowledge, madhu vidya, was given by the sage Dadhyang of the Atharva tradition.)
Subject
Sweet Vegetation—Sugar-Cane:Love-Spell
Translation
This creeper is born from honey. We dig you out with honey. You are born from honey, so you make us full of honey.
Translation
This plant is born from sweetness, we dig it out with the desire of getting its sweet substance, since it is produced from sweetness therefore, let it make us sweet.
Translation
This divine knowledge has sprung from God. O divine knowledge, who acquire thee with exertion through the soul. Thou hast emanated-from Sweet God, fill us with spiritual knowledge.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१−इयम्। पुरोवर्तिनी त्वम्। वीरुत्। १।३२।१। विरोहणशीला विस्तृता लतारूपा विद्या। मधु-जाता। १।४।१। मन ज्ञाने-उ, धश्चान्तादेशः। जनी-क्त। मधुनो ज्ञानात् क्षौद्राद् वा यथा उत्पन्ना। मधुना। १।४।१। ज्ञानेन, क्षौद्ररसेन यथा वा। त्वा। त्वाम् वीरुधम्। खनामसि। खनु अवदारणे−लट्, मस इत्वम्। खनामः, अवदारयामः, अन्वेषणेन प्राप्नुमः। मधोः। पुंलिङ्गे। वसन्तर्तुसकाशात्। स्त्रियाम्। विद्यायाः सकाशात्। अधि। पञ्चम्यर्थानुवादी। प्र-जाता। प्रादुर्भूता। असि। वर्त्तसे। सा। सा त्वम्। नः। अस्मान्। मधु-मतः। तदस्यास्त्यस्मिन्निति मतुप्। पा० ५।२।९४। इति प्रशंसायां मतुप्। प्रशस्तज्ञानयुक्तान्, क्षौद्ररसोपेतान् वा यथा। कृधि। कुरु ॥
बंगाली (1)
पदार्थ
(ইয়ং) এই তুমি (বীরুৎ) বৃদ্ধিশালিনী বিদ্যা (মধুজাতা) জ্ঞান হইতে উৎপন্ন হইয়াছে। (মধুনা) জ্ঞানের সহিত (ত্বা) তোমাকে (প্রজাতা অসি) তুমি জন্মিয়াছ। (সা) সেই তুমি (নঃ) আমাদিগকে (মধুমতঃ) উত্তম গুণযুক্ত (কৃধি) কর।।
भावार्थ
এই বর্ধনশালিনী বিদ্যা জ্ঞান হইতে উৎপন্ন হয়। জ্ঞানের সহিত তাহার অনুশীলন করি। জ্ঞান হইতে তাহার জন্ম। বিদ্যা আমাদিগকে উত্তম জ্ঞানযুক্ত করুক।।
मन्त्र (बांग्ला)
ইয়ং বারু ন্মধুজাতা মধ না ত্বা খনামসি। মধোরধি প্রজাতাসি সা নো মধুমত স্কৃধি।
ऋषि | देवता | छन्द
অর্থবা। মধুবনস্পতিঃ। অনুষ্টুপ্
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