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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 1/ मन्त्र 1
    सूक्त - सोम देवता - अनुष्टुप् छन्दः - सवित्री, सूर्या सूक्तम् - विवाह प्रकरण सूक्त
    252

    स॒त्येनोत्त॑भिता॒ भूमिः॒ सूर्ये॒णोत्त॑भिता॒ द्यौः।ऋ॒तेना॑दि॒त्यास्ति॑ष्ठन्ति दि॒वि सोमो॒ अधि॑ श्रि॒तः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स॒त्येन॑ । उत्त॑भिता । भूमि॑: । सूर्ये॑ण । उत्त॑भिता । द्यौ: । ऋ॒तेन॑ । आ॒दि॒त्या: । ति॒ष्ठ॒न्ति॒ । दि॒वि॒ । सोम॑: । अधि॑ । श्रि॒त: ॥१.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सत्येनोत्तभिता भूमिः सूर्येणोत्तभिता द्यौः।ऋतेनादित्यास्तिष्ठन्ति दिवि सोमो अधि श्रितः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सत्येन । उत्तभिता । भूमि: । सूर्येण । उत्तभिता । द्यौ: । ऋतेन । आदित्या: । तिष्ठन्ति । दिवि । सोम: । अधि । श्रित: ॥१.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 14; सूक्त » 1; मन्त्र » 1
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    हिन्दी (1)

    विषय

    मन्त्र १-५, प्रकाश करने योग्य और प्रकाशक के विषय काउपदेश।

    पदार्थ

    (सत्येन) सत्यस्वरूपपरमेश्वर करके (भूमिः) भूमि (उत्तभिता) [आकाश में] उत्तमता से थाँभी गयी है, और (सूर्येण) सूर्यलोक करके (द्यौः) प्रकाश (उत्तभिता) उत्तम रीति से थाँभा गयाहै। (ऋतेन) सत्य नियम द्वारा (आदित्याः) प्रकाशमान किरणें [वा अखण्ड सूक्ष्मपरमाणु] (तिष्ठन्ति) ठहरते हैं, और (दिवि) [सूर्य के] प्रकाश में (सोमः)चन्द्रमा (अधि) यथावत् (श्रितः) ठहरा हुआ है ॥१॥

    भावार्थ

    लोक दो प्रकार के हैं−एक प्रकाश करनेवाले जैसे सूर्य आदि और दूसरे अप्रकाशमान जैसे पृथिवी चन्द्र आदि।परमेश्वर के नियम से प्रकाशक सूर्य आदि लोक प्रकाश्य पृथिवी चन्द्र आदि लोकों कोअपने प्रकाश से प्रकाशित करते हैं ॥१॥१−मन्त्र १ तथा २ महर्षिदयानन्दकृत ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, प्रकाश्यप्रकाशकविषय पृ० १४३, १४४ में व्याख्यात हैं।२−मन्त्र १-३ ऋग्वेद मेंहैं−१०।८५।१-३। मन्त्र ३ भेद से हैं ॥

    टिप्पणी

    १−(सत्येन) नित्यस्वरूपेणब्रह्मणा (उत्तभिता) उत्तमतया धारिता (भूमिः) (सूर्येण) आदित्यमण्डलेन (उत्तभिता) (द्यौः)प्रकाशः (ऋतेन) सत्यनियमेन (आदित्याः) आदीप्यमानाः किरणाः। अखण्डाः सूक्ष्माःपरमाणवः (तिष्ठन्ति) वर्तन्ते (दिवि) सूर्यप्रकाशे (सोमः) चन्द्रमाः (अधि)यथाविधि (श्रितः) स्थितः ॥

    इंग्लिश (1)

    Subject

    Surya’s Wedding

    Meaning

    (MARRIAGE AND FAMILY) The earth is sustained by Truth, the solar region is sustained by the sun, the sun across the Zodiacs is sustained by Rtam, laws of nature, and Soma, moon, is sustained in heavenly space. By implication: Bhumi, mother Shakti, is sustained in the home by Truth, Dyau, father power, is sustained by vision and intelligence, Aditya Brahmacharis in the commumity are sustained by the discipline of law and austerity, and Soma, the vitality of virility and fertility, is sustained in the heavenly heights of Brahmacharya discipline.

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १−(सत्येन) नित्यस्वरूपेणब्रह्मणा (उत्तभिता) उत्तमतया धारिता (भूमिः) (सूर्येण) आदित्यमण्डलेन (उत्तभिता) (द्यौः)प्रकाशः (ऋतेन) सत्यनियमेन (आदित्याः) आदीप्यमानाः किरणाः। अखण्डाः सूक्ष्माःपरमाणवः (तिष्ठन्ति) वर्तन्ते (दिवि) सूर्यप्रकाशे (सोमः) चन्द्रमाः (अधि)यथाविधि (श्रितः) स्थितः ॥

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