अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 2/ मन्त्र 2
ऋषिः - वाक्
देवता - आसुरी उष्णिक्
छन्दः - अथर्वा
सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त
58
मधु॑मती स्थ॒मधु॑मतीं॒ वाच॑मुदेयम् ॥
स्वर सहित पद पाठमधु॑ऽमती: । स्थ॒ । मधु॑ऽमतीम् । वाच॑म् । उ॒दे॒य॒म् ॥२.२॥
स्वर रहित मन्त्र
मधुमती स्थमधुमतीं वाचमुदेयम् ॥
स्वर रहित पद पाठमधुऽमती: । स्थ । मधुऽमतीम् । वाचम् । उदेयम् ॥२.२॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
इन्द्रियों की दृढ़ता का उपदेश।
पदार्थ
[हे प्रजाओ !] तुम (मधुमतीः) ज्ञानवाली (स्थ) हो, (मधुमतीम्) ज्ञानयुक्त (वाचम्) वाणी (उदेयम्) मैंबोलूँ ॥२॥
भावार्थ
मनुष्य विद्वानों केसत्सङ्ग से सुशिक्षित होकर सदा ज्ञानयुक्त बोलें ॥२॥
टिप्पणी
२−(मधुमतीः) ज्ञानवत्यःप्रजाः (स्थ) भवथ (मधुमतीम्) ज्ञानवतीम् (वाचम्) वाणीम् (उदेयम्) अ० ३।२०।१०।उद्यासम् ॥
विषय
मधुरवाणी
पदार्थ
१. गतसूक्त के भाव के अनुसार कामाग्नि के शान्त होने पर तथा रेत:कणों के रक्षित होने पर (दुःअर्मण्यः) = [a disease of the eye]-जीवन को दु:खमय बनानेवाला आँख का रोग (नि:) = हमसे दूर हो। ये रेत:कण हमें 'शिवचक्षु' प्राप्त कराएँ। हम आँखों से मृदु को ही देखें। न हमारी आँखें अभद्र को देखें और न ही हम अशुभ बाणी बोलें। हमारी (वाक्) = वाणी (ऊर्जा) = बल व प्राणशक्ति के साथ (मधुमती:) = अत्यन्त माधुर्य को लिये हुए हो। २. हे शरीरस्थ रेत:कण! [आपः] तुम (मधुमती: स्थ) = अत्यन्त माधुर्यवाले हो-शरीर में सुरक्षित होकर तुम सारे जीवन को मधुर बनाते हो। तुम्हारा रक्षण होने पर (मधुमती वाचम् उदेयम्) = अत्यन्त मधुर ही वाणी को बोलूँ।
भावार्थ
रेत:कणों के रक्षण के द्वारा हमारे चक्षु आदि इन्द्रियों के रोग दूर हों। हम शिव ही देखें और हमारी वाणी ओजस्विनी व मधुर हो। रेत:कण हमारे जीवन को अतिशयेन मधुर बनाते हैं। मैं मधुर ही वाणी बोलूँ।
भाषार्थ
(मधुमतीः) माधुर्यगुण वाले (स्थ) तुम हो, (मधुमतीम्) माधुर्य युक्त (वाचम्) वाणी (उदेयम्) मैं उच्चारण करूं। [स्त्रीलिङ्ग के प्रयोग द्वारा आपः का वर्णन है]
टिप्पणी
[वैशेषिक दर्शन के अनुसार आपः (जल) माधुर्य गुण वाले हैं। आपः के सेवन से माधुर्य का अनुभव कर, व्यक्ति मधुर वाणी के उच्चारण का संकल्प करता है। ऊर्जा = जल चिकित्सा१ द्वारा बल प्राप्त होता और प्राण अर्थात जीवनीय शक्ति प्राप्त होती है। प्रकरण की दृष्टि से रस-रक्त वीर्य, जल, तथा जलनिष्ठ अग्नि का मिश्रित वर्णन इस काण्ड में यत्र तत्र हुआ है] [१. जल द्वारा दुःस्वप्नों के निराकरण की दृष्टि से जल का वर्णन हुआ है।]
इंग्लिश (4)
Subject
Vak Devata
Meaning
O thoughts, will and actions, be good and honey sweet. Let us speak words of honeyed sweetness.
Translation
Full of honey you are; may I speak honey-sweet speech.
Translation
It is sweet let me speak sweet.
Translation
O learned persons, ye are full of knowledge! Let my speech be full of knowledge.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२−(मधुमतीः) ज्ञानवत्यःप्रजाः (स्थ) भवथ (मधुमतीम्) ज्ञानवतीम् (वाचम्) वाणीम् (उदेयम्) अ० ३।२०।१०।उद्यासम् ॥
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