अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 5/ मन्त्र 1
सूक्त - दुःस्वप्ननासन
देवता - विराट् गायत्री
छन्दः - यम
सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त
48
वि॒द्म ते॑स्वप्न ज॒नित्रं॒ ग्राह्याः॑ पु॒त्रोऽसि॑ य॒मस्य॒ कर॑णः ॥
स्वर सहित पद पाठवि॒द्म । ते॒ । स्व॒प्न॒ । ज॒नित्र॑म् । ग्राह्या॑: । पु॒त्र: । अ॒सि॒ । य॒मस्य॑ । कर॑ण: ॥५.१॥
स्वर रहित मन्त्र
विद्म तेस्वप्न जनित्रं ग्राह्याः पुत्रोऽसि यमस्य करणः ॥
स्वर रहित पद पाठविद्म । ते । स्वप्न । जनित्रम् । ग्राह्या: । पुत्र: । असि । यमस्य । करण: ॥५.१॥
भाष्य भाग
हिन्दी (1)
विषय
आलस्यादिदोष के त्याग के लिये उपदेश।
पदार्थ
(स्वप्न) हे स्वप्न ! [आलस्य] (ते) तेरे (जनित्रम्) जन्मस्थान को (विद्म) हम जानते हैं, तू (ग्राह्याः) गठिया [रोगविशेष] का (पुत्रः) पुत्र और (यमस्य) मृत्यु का (करणः)करनेवाला (असि) है ॥१॥
भावार्थ
हे मनुष्यो ! कुपश्यआदि करने से गठिया आदि रोग होते हैं, गठिया आदि से आलस्य और उससे अनेकविपत्तियाँ मृत्यु आदि होती हैं। इससे सब लोग दुःखों के कारण अति निद्रा आदि कोखोजकर निकालें और केवल परिश्रम की निवृत्ति के लिये ही उचित निद्रा का आश्रयलेकर सदा सचेत रहें ॥१-३॥
टिप्पणी
१−इदं सूक्तं किञ्चिद्भेदेन गतं व्याख्यातं च-अ० ६।४६।२। (विद्म) जानीमः (ते) तव (स्वप्न) हे निद्रे।हे आलस्य (जनित्रम्) जन्मस्थानम् (ग्राह्याः) अ० २।९।१। सन्धीनांग्रहणशीलपीडायाः (पुत्रः) पुत्र इवोत्पन्नः (यमस्य) मृत्योः (करणः) करोतेर्ल्यु।कर्ता ॥
इंग्लिश (1)
Subject
Atma-Aditya Devata
Meaning
O dream, we know your origin, you are the child of seizure, you are an instrument of Yama.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१−इदं सूक्तं किञ्चिद्भेदेन गतं व्याख्यातं च-अ० ६।४६।२। (विद्म) जानीमः (ते) तव (स्वप्न) हे निद्रे।हे आलस्य (जनित्रम्) जन्मस्थानम् (ग्राह्याः) अ० २।९।१। सन्धीनांग्रहणशीलपीडायाः (पुत्रः) पुत्र इवोत्पन्नः (यमस्य) मृत्योः (करणः) करोतेर्ल्यु।कर्ता ॥
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