Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 17 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 17/ मन्त्र 6
    सूक्त - अथर्वा देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - भुरिग्जगती सूक्तम् - सुरक्षा सूक्त
    26

    आपो॒ मौष॑धीमतीरे॒तस्या॑ दि॒शः पा॑न्तु॒ तासु॑ क्रमे॒ तासु॑ श्रये॒ तां पुरं॒ प्रैमि॑। ता मा॑ रक्षन्तु॒ ता मा॑ गोपायन्तु॒ ताभ्य॑ आ॒त्मानं॒ परि॑ ददे॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आपः॑। मा॒। ओष॑धीऽमतीः। ए॒तस्याः॑। दि॒शः। पा॒न्तु॒। तासु॑। क्र॒मे॒। तासु॑। श्र॒ये॒। ताम्। पुर॑म्। प्र। ए॒मि॒। ताः। मा॒। र॒क्ष॒न्तु॒। ताः। मा॒। गो॒पा॒य॒न्तु॒। ताभ्यः॑। आ॒त्मान॑म्। परि॑। द॒दे॒। स्वाहा॑ ॥१७.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आपो मौषधीमतीरेतस्या दिशः पान्तु तासु क्रमे तासु श्रये तां पुरं प्रैमि। ता मा रक्षन्तु ता मा गोपायन्तु ताभ्य आत्मानं परि ददे स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आपः। मा। ओषधीऽमतीः। एतस्याः। दिशः। पान्तु। तासु। क्रमे। तासु। श्रये। ताम्। पुरम्। प्र। एमि। ताः। मा। रक्षन्तु। ताः। मा। गोपायन्तु। ताभ्यः। आत्मानम्। परि। ददे। स्वाहा ॥१७.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 17; मन्त्र » 6
    Acknowledgment

    हिन्दी (1)

    विषय

    रक्षा करने का उपदेश।

    पदार्थ

    (ओषधीमतीः) ओषधियों [अन्न सोमरस आदि] वाली (आपः) श्रेष्ठ गुणों में व्याप्त प्रजाएँ [उत्पन्न जीव] (मा) मुझे (एतस्याः) इस [बीचवाली] (दिशः) दिशा से (पान्तु) बचावें, (तासु) उनमें [प्रजाओं के विश्वास में] (क्रमे) मैं पद बढ़ाता हूँ, (तासु) उनमें (श्रये) आश्रय लेता हूँ, (ताम्) उस (पुरम्) अग्रगामिनी शक्ति [वा दुर्गरूप परमेश्वर] को (प्र) अच्छे प्रकार (एमि) मैं प्राप्त होता हूँ। (ताः) वे [प्रजाएँ] (मा) मुझे (रक्षन्तु) बचावें, (ताः) वे (मा) मुझे (गोपायन्तु) पालें, (ताभ्यः) उनको (आत्मानम्) अपना आत्मा [मन-सहित देह और जीव] (स्वाहा) सुन्दर वाणी [दृढ़ प्रतिज्ञा] के साथ (परि ददे) मैं सौंपता हूँ ॥६॥

    भावार्थ

    मन्त्र १ के समान है ॥६॥

    टिप्पणी

    ६−(आपः) आप्लृ-व्याप्तौ-क्विप्, आप्ताः प्रजाः-दयानन्दभाष्ये-यजु०६।२७ (मा) माम् (ओषधीमतीः) ओषधीमत्यः। अन्नसोमरसादियुक्ताः (पान्तु) रक्षन्तु (तासु) अप्सु। प्रजासु (ताः) आपः। प्रजाः (रक्षन्तु) (गोपायन्तु) पालयन्तु (ताभ्यः) प्रजाभ्यः। अन्यत् पूर्ववत् ॥

    इंग्लिश (1)

    Subject

    Protection and Security

    Meaning

    May the divine waters of nature rich in herbs of medicinal efficacy protect and promote me from the same direction. Therein I advance. Therein I rest and find my haven. That health and efficacy I attain to. May that guard me. May that sustain me. To that I surrender myself life and soul in truth of word and deed.

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ६−(आपः) आप्लृ-व्याप्तौ-क्विप्, आप्ताः प्रजाः-दयानन्दभाष्ये-यजु०६।२७ (मा) माम् (ओषधीमतीः) ओषधीमत्यः। अन्नसोमरसादियुक्ताः (पान्तु) रक्षन्तु (तासु) अप्सु। प्रजासु (ताः) आपः। प्रजाः (रक्षन्तु) (गोपायन्तु) पालयन्तु (ताभ्यः) प्रजाभ्यः। अन्यत् पूर्ववत् ॥

    Top