अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 45/ मन्त्र 8
ऋषिः - भृगुः
देवता - आञ्जनम्
छन्दः - एकावसाना निचृन्महाबृहती
सूक्तम् - आञ्जन सूक्त
60
सोमो॑ मा॒ सौम्ये॑नावतु प्रा॒णाया॑पा॒नायायु॑षे॒ वर्च॑स॒ ओज॑से तेज॑से स्व॒स्तये॑ सुभू॒तये॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठसोमः॑। मा॒। सौम्ये॑न। अ॒व॒तु॒। प्रा॒णाय॑। अ॒पा॒नाय॑। आयु॑षे। वर्च॑से। ओज॑से। तेज॑से। स्व॒स्तये॑। सु॒ऽभू॒तये॑। स्वाहा॑ ॥४५.८॥
स्वर रहित मन्त्र
सोमो मा सौम्येनावतु प्राणायापानायायुषे वर्चस ओजसे तेजसे स्वस्तये सुभूतये स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठसोमः। मा। सौम्येन। अवतु। प्राणाय। अपानाय। आयुषे। वर्चसे। ओजसे। तेजसे। स्वस्तये। सुऽभूतये। स्वाहा ॥४५.८॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थ
(सोमः) शान्तस्वभाव परमेश्वर (मा) मुझे (सौम्येन) शान्त गुण के साथ (अवतु) बचावे, (प्राणाय) प्राण के लिये..... [मन्त्र ६] ॥८॥
भावार्थ
मन्त्र ६ के समान है ॥८॥
टिप्पणी
८−(सोमः) शान्तस्वभावः परमेश्वरः (सौम्येन) शान्तगुणेन। अन्यत् पूर्ववत् ॥
भाषार्थ
(सोमः) चन्द्रमा के सदृश सौम्य प्रकृतिवाला अधिकारी (सौम्येन) सौम्यस्वभाव के सदुपदेशों द्वारा (मा) मेरी रक्षा करे। ताकि मैं (प्राणाय अपानाय.....) आदि पूर्ववत्।
टिप्पणी
[मन्त्र में “मा” पद द्वारा समस्त प्रजाजन अभिप्रेत हैं। प्रजाजनों को सौम्य प्रकृति का होना चाहिए, उग्र प्रकृति का नहीं। उग्र प्रकृति से पारस्परिक ईर्ष्या-द्वेष कलह युद्ध आदि की सम्भावना बनी रहती है। “सोम” नैतिक शिक्षा का अधिकारी है।]
विषय
सोम, सौम्येन
पदार्थ
१. (सोमः) = शान्त प्रभु (मा) = मुझे (सौम्येन) = शान्तस्वभाव के द्वारा (अवतु) = रक्षित करें। २. सोम प्रभु मुझे सौम्यता को इसलिए प्राप्त कराएँ जिससे प्राणाय। शेष पूर्ववत्।
भावार्थ
सोम नामक प्रभु मुझे सौम्यता प्राप्त कराके प्राणापानशक्तिसम्पन्न दीर्घजीवन प्राप्त कराएँ।
विषय
रक्षक और विद्वान् ‘आञ्जन’।
भावार्थ
(इन्द्रः) ऐश्वर्यवान् पुरुष (इन्द्रियेण) अपने ऐश्वर्य से (सोमः सौम्येन) सोम अपने सौम्यगुण से (भगः) भग, ऐश्वर्यवान् अपने (भगेन) अपने ऐश्वर्य प्राप्त करने के गुण से (मरुतः) मरुत् गण अपने (गणैः) गणों से (प्राणाय, अपानाय, आयुषे, वर्चसे, ओजसे, तेजसे, स्वस्तये सुभूतये) प्राण, अपान, आयु, वर्चस्, ओज, तेज, सुखपूर्वक जीवन और उत्तम ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिये (मा अवतु) मेरी रक्षा करें, (स्वाहा) यह हमारी उत्तम प्रार्थना है। राष्ट्र में अग्नि=अग्रणी सेनापति। सोम=न्यायाधीश। भग=कर संग्राहक। मरुतः=सेना के सैनिक या प्रजागण ये सब मेरे प्राण आयु वीर्य स्वास्थ्य ऐश्वर्य के लिये रक्षा करें। ईश्वर में ये सब गुण घटित है। अतः वह अपने ज्ञान, शान्ति, ऐश्वर्य और नाना शक्तियों से मेरी रक्षा करे।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
भृगुऋषिः। आञ्जनं देवता। १, २ अनुष्टुभौ। ३, ५ त्रिष्टुभः। ६-१० एकावसानाः महाबृहत्यो (६ विराड्। ७-१० निचृत्तश्च)। दशर्चं सूक्तम्।
इंग्लिश (4)
Subject
Anjanam
Meaning
May Soma, lord of peace and life’s inspiration, protect and promote me with peace and joyous inspiration for prana and apana, good health and full age, honour and glory, glow of spiritual splendour and brilliance of performance, all round well being and creative prosperity. Homage to Soma in truth of thought, word and deed.
Translation
May the blissful Lord preserve me with bliss for in-breath. for out-breath, for long life, for lustre, for vigour, for majesty, for weal, for good prosperity. Svaha.
Translation
May Indra, the all-pervading electricity protect me with the organic forces for.........prosperity. I…. idea.
Translation
Let the All-pleasant God, the moon, the physician or the essence of medicines protect .... said.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
८−(सोमः) शान्तस्वभावः परमेश्वरः (सौम्येन) शान्तगुणेन। अन्यत् पूर्ववत् ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal