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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 67 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 67/ मन्त्र 1
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - सूर्यः छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - दीर्घायु सूक्त
    114

    पश्ये॑म श॒रदः॑ श॒तम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    पश्ये॑म। श॒रदः॑। श॒तम् ॥६७.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    पश्येम शरदः शतम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    पश्येम। शरदः। शतम् ॥६७.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 67; मन्त्र » 1
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    हिन्दी (1)

    विषय

    जीवन के स्वास्थ्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (शतम्) सौ (शरदः) वर्षों तक (पश्येम) हम देखते रहें ॥१॥

    भावार्थ

    हम सब लोग प्रयत्न करें कि परमेश्वर की प्रार्थना सदा करते हुए युक्त आहार-विहार से ऐसे स्वस्थ और नीरोग रहें कि सब इन्द्रियाँ नेत्र, मुख, नासिका, मन आदि सौ वर्ष से भी अधिक पूरे दृढ़ और सचेत रहें, जिससे हम अपना कर्तव्य जीवनभर सावधानी के साथ किया करें ॥१-८॥ मन्त्र १ तथा २ ऋग्वेद में हैं-७।६६।१६ और सब सूक्त कुछ भेद से यजुर्वेद में है-३६।२४

    टिप्पणी

    १−(पश्येम) अवलोकयेम (शरदः) शरद्ऋतून्। संवत्सरान्। कालाध्वनोरत्यन्तसंयोगे। पा० २।३।५। इति सर्वत्र द्वितीया (शतम्) शतसंख्याकान् ॥

    इंग्लिश (1)

    Subject

    Health and Full Age

    Meaning

    May we see with healthy eyes for a hundred years

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १−(पश्येम) अवलोकयेम (शरदः) शरद्ऋतून्। संवत्सरान्। कालाध्वनोरत्यन्तसंयोगे। पा० २।३।५। इति सर्वत्र द्वितीया (शतम्) शतसंख्याकान् ॥

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