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अथर्ववेद के काण्ड - 2 के सूक्त 17 के मन्त्र

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  • अथर्ववेद - काण्ड 2/ सूक्त 17/ मन्त्र 2
    ऋषि: - ब्रह्मा देवता - प्राणः, अपानः, आयुः छन्दः - एदपदासुरीत्रिष्टुप् सूक्तम् - बल प्राप्ति सूक्त
    26

    सहो॑ ऽसि॒ सहो॑ मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सह॑: । अ॒सि॒ । सह॑: । मे॒ । दा॒: । स्वाहा॑ ॥१७.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सहो ऽसि सहो मे दाः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सह: । असि । सह: । मे । दा: । स्वाहा ॥१७.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 2; सूक्त » 17; मन्त्र » 2
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    हिन्दी (2)

    विषय

    आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    [हे परमात्मा !] तू (सहः) पराक्रमस्वरूप (असि) है, (मे) मुझे (सहः) आत्मिक पराक्रम (दाः) दे, (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥२॥

    भावार्थ

    अनन्त ब्रह्माण्डों का रचक और धारक परमेश्वर पराक्रमस्वरूप है। ऐसा सोचकर विद्यादि उपायों से मनुष्य अपनी आत्मिक शक्ति बढ़ावें ॥२॥

    टिप्पणी

    २–सहः। षह अभिभवे, क्षमायाम्–असुन्। मानसिकबलम्। पराक्रमः ॥

    Vishay

    Padartha

    Bhavartha

    English (1)

    Subject

    Elan Vital at the Full

    Meaning

    You are courage, patience and fortitude in the spirit of invincible challenge. Give me courage, patience and fortitude. This is the voice of truth in faith.

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