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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 18 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 18/ मन्त्र 6
    सूक्त - वसिष्ठः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-१८
    18

    त्वं वर्मा॑सि स॒प्रथः॑ पुरोयो॒धश्च॑ वृत्रहन्। त्वया॒ प्रति॑ ब्रुवे यु॒जा ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्वम् । वर्म॑ । अ॒सि॒ । स॒ऽप्रथ॑: । पु॒र॒:ऽयो॒ध: । च॒ । वृ॒त्र॒ऽह॒न् ॥ त्वया॑ । प्रति॑ । ब्रु॒वे॒ । यु॒जा ॥१८.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्वं वर्मासि सप्रथः पुरोयोधश्च वृत्रहन्। त्वया प्रति ब्रुवे युजा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    त्वम् । वर्म । असि । सऽप्रथ: । पुर:ऽयोध: । च । वृत्रऽहन् ॥ त्वया । प्रति । ब्रुवे । युजा ॥१८.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 18; मन्त्र » 6
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    हिन्दी (1)

    विषय

    राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (वृत्रहन्) हे दुष्टनाशक ! (त्वम्) तू (सप्रथः) चौड़े (वर्म) कवच [के समान] (च) और (पुरोयुधः) सामने से युद्ध करनेवाला (असि) है। (त्वया युजा) तुझ मिलनसार के साथ [वैरियों को] (प्रति ब्रुवे) मैं ललकारता हूँ ॥६॥

    भावार्थ

    धर्मात्मा वीर राजा के साथ होकर प्रजागण शत्रुओं को मारें ॥६॥

    टिप्पणी

    ६−(त्वम्) (वर्म) कवचमिव (असि) (सप्रथः) सविस्तारम् (पुरोयुधः) उग्रतो योद्धा (च) (वृत्रहन्) हे दुष्टनाशक (त्वया) (प्रति ब्रुवे) प्रत्यक्षं प्रतिकूलं वा कथयामि भर्त्सयामि (युजा) संगन्त्रा। मित्रेण ॥

    इंग्लिश (1)

    Subject

    Surrender and Security

    Meaning

    You are the celebrated armour of defence and all round protection, front rank warrior, destroyer of evil, darkness and want: committed to you in covenant, I say so and bind myself.

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ६−(त्वम्) (वर्म) कवचमिव (असि) (सप्रथः) सविस्तारम् (पुरोयुधः) उग्रतो योद्धा (च) (वृत्रहन्) हे दुष्टनाशक (त्वया) (प्रति ब्रुवे) प्रत्यक्षं प्रतिकूलं वा कथयामि भर्त्सयामि (युजा) संगन्त्रा। मित्रेण ॥

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