अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 38/ मन्त्र 1
आ या॑हि सुषु॒मा हि त॒ इन्द्र॒ सोमं॒ पिबा॑ इ॒मम्। एदं ब॒र्हिः स॑दो॒ मम॑ ॥
स्वर सहित पद पाठआ । या॒हि॒ । सु॒सु॒म । हि । ते॒ । इन्द्र॑ । सोम॑म् । पिब॑ । इ॒मम् ॥ आ । इ॒दम् । ब॒र्हि: । स॒द॒: । मम॑ ॥३८.१॥
स्वर रहित मन्त्र
आ याहि सुषुमा हि त इन्द्र सोमं पिबा इमम्। एदं बर्हिः सदो मम ॥
स्वर रहित पद पाठआ । याहि । सुसुम । हि । ते । इन्द्र । सोमम् । पिब । इमम् ॥ आ । इदम् । बर्हि: । सद: । मम ॥३८.१॥
भाष्य भाग
हिन्दी (1)
विषय
राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।
पदार्थ
(इन्द्र) हे इन्द्र ! [बड़े ऐश्वर्यवाले राजन्] (आ याहि) तू आ, (हि) क्योंकि (ते) तेरे लिये (सोमम्) सोम [उत्तम ओषधियों का रस] (सुषुम) हमने सिद्ध किया है, (इमम्) इस [रस] को (पिब) पी, (मम) मेरे (इदम्) इस (बर्हिः) उत्तम आसन पर (आ सदः) बैठ ॥१॥
भावार्थ
लोग विद्वान् सद्वैद्य के सिद्ध किये हुए महौषधियों के रस से राजा को स्वस्थ बलवान् रखकर राजसिंहासन पर सुशोभित करें ॥१॥
टिप्पणी
मन्त्र १-३ आ चुके हैं-अ०२०।३।१-३ और आगे हैं-अ०२०।४७।७-९॥१−मन्त्राः १-३ व्याख्याताः-अ०२०।३।१-३॥
इंग्लिश (1)
Subject
lndra Devata
Meaning
Indra, lord omnipotent and omnipresent, we hold the yajna and distil the soma of life in your service. Come, grace this holy seat of my yajna dedicated to you, watch my performance, enjoy the soma, and protect and promote the yajna for the beauty and joy of life.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
मन्त्र १-३ आ चुके हैं-अ०२०।३।१-३ और आगे हैं-अ०२०।४७।७-९॥१−मन्त्राः १-३ व्याख्याताः-अ०२०।३।१-३॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Dhiman
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal