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अथर्ववेद के काण्ड - 5 के सूक्त 15 के मन्त्र

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  • अथर्ववेद - काण्ड 5/ सूक्त 15/ मन्त्र 1
    ऋषि: - विश्वामित्रः देवता - मधुलौषधिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - रोगोपशमन सूक्त
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    एका॑ च मे॒ दश॑ च मेऽपव॒क्तार॑ ओषधे। ऋत॑जात॒ ऋता॑वरि॒ मधु॑ मे मधु॒ला क॑रः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ‍एका॑ । च॒ । मे॒ । दश॑ । च॒ । मे॒ । अ॒प॒ऽव॒क्तार॑: । ओ॒ष॒धे॒ । ऋत॑ऽजाते । ऋत॑ऽवारि । मधु॑ । मे॒ । म॒धु॒ला । क॒र॒:॥१५.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    एका च मे दश च मेऽपवक्तार ओषधे। ऋतजात ऋतावरि मधु मे मधुला करः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ‍एका । च । मे । दश । च । मे । अपऽवक्तार: । ओषधे । ऋतऽजाते । ऋतऽवारि । मधु । मे । मधुला । कर:॥१५.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 15; मन्त्र » 1
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    हिन्दी (2)

    विषय

    विघ्नों के हटाने का उपदेश।

    पदार्थ

    (मे) मेरे लिये (एका) एक [संख्या] (च च) और (मे) मेरे लिये (दश) दस (अपवक्तारः) निन्दा करनेवाले व्यवहार हैं, (ऋतजाते) हे सत्य में उत्पन्न हुयी, (ऋतावरि) हे सत्यशील, (ओषधे) हे तापनाशक शक्ति परमेश्वर ! (मधुला) ज्ञान वा मिठास देनेवाली तू (मे) मेरे लिये (मधु) ज्ञान वा मिठास (करः) कर ॥१॥

    भावार्थ

    मनुष्य संसार में अनेक विघ्नों से बचने के लिये पुरुषार्थपूर्वक परमेश्वर का आश्रय लें ॥१॥ इस सूक्त में मन्त्र १ की संख्या ११, म० २ में द्विगुणी बाईस, म० ३ में तीन गुणी तेंतीस, इत्यादि, म० १–० तक एक सौ दस, और म० ११ में एक सहस्र एक सौ है। अर्थात् सम मन्त्रों में सम और विषम में विषम संख्यायें हैं ॥

    टिप्पणी

    १−(एका) एकसंख्या (च च) समुच्चये (मे) मह्यम् (दश) (अपवक्तारः) निन्दका व्यवहाराः (ओषधे) हे तापनाशिके शक्ते परमेश्वर (ऋतजाते) सत्येनोत्पन्ने (ऋतावरि) अ० ३।१३।७। ऋत−वनिप्। हे सत्यशीले (मधु) ज्ञानं माधुर्य्यं वा (मधुला) मधु+ला दाने−क। मधुनो ज्ञानस्य माधुर्यस्य वा दात्री (करः) लेटि रूपम्। त्वं कुर्याः ॥

    Vishay

    Padartha

    Bhavartha

    English (1)

    Subject

    Antidote of Pollution and Disease

    Meaning

    O Oshadhi, herbs and trees, cleansers of pollution and disease, sages and scholars, fiery spirits of life, embodiments of beauty and sweetness, pleasure and passion, life energies and divinities of existence, gifts of Vishnu and Prajapati, all born of the truth and law of existence, observers of the laws of life, creators of the honey sweets of life, let there be one or ten, any number of distractors, abusers and revilers, create for us the honey sweets of good health and happy life.

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