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अथर्ववेद के काण्ड - 5 के सूक्त 25 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 25/ मन्त्र 5
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - योनिः, गर्भः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - गर्भाधान सूक्त
    56

    विष्णु॒र्योनिं॑ कल्पयतु॒ त्वष्टा॑ रू॒पाणि॑ पिंशतु। आ सि॑ञ्चतु प्र॒जाप॑तिर्धा॒ता गर्भं॑ दधातु ते ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    विष्णु॑: । योनि॑म् । क॒ल्प॒य॒तु॒ । त्वष्टा॑ । रू॒पाणि॑ । पि॒श॒तु॒ । आ । सि॒ञ्च॒तु॒ । प्र॒जाऽप॑ति: । धा॒ता । गर्भ॑म् । द॒धा॒तु॒ । ते॒ ॥२५.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विष्णुर्योनिं कल्पयतु त्वष्टा रूपाणि पिंशतु। आ सिञ्चतु प्रजापतिर्धाता गर्भं दधातु ते ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    विष्णु: । योनिम् । कल्पयतु । त्वष्टा । रूपाणि । पिशतु । आ । सिञ्चतु । प्रजाऽपति: । धाता । गर्भम् । दधातु । ते ॥२५.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 25; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    गर्भाधान का उपदेश।

    पदार्थ

    (विष्णुः) सर्वव्यापक परमेश्वर (योनिम्) गर्भाशय को (कल्पयतु) समर्थ करे, और वही (त्वष्टा) विश्वकर्मा ईश्वर [गर्भ के] (रूपाणि) आकारों को (पिंशतु) जोड़-जोड़ बनावे। (धाता) सर्वपोषक (प्रजापतिः) प्रजाओं का रक्षक परमात्मा (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ को (आ) सब प्रकार (सिञ्चतु) सींचे और (दधातु) पुष्ट करे ॥५॥

    भावार्थ

    समर्थ गर्भवती स्त्री परमेश्वर के उत्तम गुणों का स्मरण करती हुई गुणी महात्माओं का ध्यान करके गर्भ की रक्षा करे, जिससे बालक रूपवान् गुणी महात्मा उत्पन्न हो ॥५॥ यह मन्त्र ऋग्वेद में है−म० १०। सू० १८४। म० १। और स्वामी दयानन्द कृत संस्कारविधि−गर्भाधानप्रकरण में भी है ॥

    टिप्पणी

    ५−(विष्णुः) सर्वव्यापकः परमेश्वरः (योनिम्) गर्भाशयम् (कल्पयतु) समर्थयतु (त्वष्टा) अ० २।५।७। त्वक्षतेर्वा स्यात् करोतिकर्मणः−निरु० ८।१३। विश्वकर्मा जगदीश्वरः (रूपाणि) गर्भाकारान् (पिंशतु) अवयवयुक्तानि करोतु (आ) समन्तात् (सिञ्चतु) रसेन वर्धयतु (प्रजापतिः) सृष्टिपालकः (धाता) पोषकः (गर्भम्) गर्भस्थशिशुम् (दधातु) पुष्णातु ॥

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    विषय

    विष्णु, त्वष्टा, प्रजापति, धाता

    पदार्थ

    १. (विष्णः) = वह सर्वव्यापक परमात्मा (योनिम्) = इस गर्भ के आश्रयभूत शरीर को (कल्पयतु) = शक्तिशाली बनाए । गर्भिणी माता अपनी मनोवृत्तियों को संकुचित न होने दे। विशाल हृदयता गर्भ को भी शक्तिशाली बनाएगी। (त्वष्टा) = वह सर्वनिर्माता प्रभु (रूपाणि) = रूपों को (पिंशतु) = अलंकृत करे, एक-एक अवयव को जोड़कर इस शरीर को सुन्दर बनाए। गर्भिणी निर्माण के कार्यों में प्रवृत्त रहेगी तो गर्भस्थ बालक का रूप बड़ा सुन्दर होगा। २. (प्रजाति: आसिञ्चतु) = प्रजाओं का रक्षक प्रभु इस गर्भ को शक्ति से सिक्क करे। गर्भिणी माता में रक्षण की प्रवृत्ति गर्भस्थ बालक को शक्ति देगी और अन्ततः (धाता) = वह धारक प्रभु (ते गर्भ दधातु) = तेरे गर्भ का धारण करे। गर्भिणी की धारणात्मक प्रवृत्ति गर्भ का भी धारण करेगी।

    भावार्थ

    गर्भस्थ बालक का ठीक निर्माण विष्णु, त्वष्टा, प्रजापति व धाता' नामवाले प्रभु ही करते हैं। गर्भिणी को भी 'विशालहृदयता, निर्माण, रक्षण व धारण' की वृत्तियों को अपनाना है, तभी सुन्दर सन्तान का निर्माण होगा।

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    भाषार्थ

    (विष्णुः) सर्वव्यापक परमेश्वर (योनिम् ) योनि को ( कल्पयतु) सामर्थ्य-सम्पन्न करे, (त्वष्टा) रूपाकृति का उत्पादक कारीगर परमेश्वर (रूपाणि) गर्भ की नानाविध रूपाकृतियों का (पिंशतु) अवयवों में सम्पादन करे। (प्रजापतिः) प्रजाओं का रक्षक परमेश्वर (आ सिञ्चतु) गर्भ में रुधिर तथा रसों१ की सींचे, ( धाता) गर्भ का धारण-पोषण करनेवाला परमेश्वर (ते) तेरे (गर्भम् ) गर्भ का (दधातु) धारण-पोषण करे। पिंशतु = पिश अवयवे (तुदादिः)

    टिप्पणी

    [विष्णुः= विष्लृ व्याप्तौ (जुहोत्यादिः)। त्वष्टा= त्वक्षतेर्वास्यात् करोतिकर्मणः (निरुक्त ८।२।१४)।] [१. यथा, मुखरस, पेट तथा आंतों के रस, पितरस आदि।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Garbhadhanam

    Meaning

    Let Vishnu, omnipresent life energy, strengthen and sustain your womb. Let Tvashta, Nature’s shaping power, form and finish the structure and function of all the organs of the foetus. Let Prajapati, father of all living creatures nourish and energise the foetus. Let Dhata, cosmic sustainer, hold and sustain the foetus to maturity.

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    Translation

    May the omnipresent lord (Visnu) prepare the womb (for pregnancy); may the supreme architect (Tvastr) make proper forms; may the Lord of creatures (Prajapati) pour it well; may the sustainer (dhātā) Lord set your embryo.

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    Translation

    Let Vishnu, the sun make your womb capable to retain embryo, let the light of the sun mould the forms, let Prajapati, the time strengthen it and let Dhatar, the power of resistance protect your embryo.

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    Translation

    May the All-pervading God, strengthen thy womb, may the Al-powerful God duly shape the joints, may God, the Protector of His subjects protect thy womb, may the Nourishing God, develop the child in the womb.

    Footnote

    Swami Dayananda has translated this verse in the SanskaraVidhi: See Rigveda, 10-184-1.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ५−(विष्णुः) सर्वव्यापकः परमेश्वरः (योनिम्) गर्भाशयम् (कल्पयतु) समर्थयतु (त्वष्टा) अ० २।५।७। त्वक्षतेर्वा स्यात् करोतिकर्मणः−निरु० ८।१३। विश्वकर्मा जगदीश्वरः (रूपाणि) गर्भाकारान् (पिंशतु) अवयवयुक्तानि करोतु (आ) समन्तात् (सिञ्चतु) रसेन वर्धयतु (प्रजापतिः) सृष्टिपालकः (धाता) पोषकः (गर्भम्) गर्भस्थशिशुम् (दधातु) पुष्णातु ॥

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