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अथर्ववेद के काण्ड - 9 के सूक्त 6 के मन्त्र
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मन्त्र चुनें
अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 1
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - अतिथिः, विद्या
छन्दः - आसुरी गायत्री
सूक्तम् - अतिथि सत्कार
36
यत्क्ष॒त्तारं॒ ह्वय॒त्या श्रा॑वयत्ये॒व तत् ॥
स्वर सहित पद पाठयत् । क्ष॒त्तार॑म् । ह्वय॑ति । आ । श्रा॒व॒य॒ति॒ । ए॒व । तत् ॥११.१॥
स्वर रहित मन्त्र
यत्क्षत्तारं ह्वयत्या श्रावयत्येव तत् ॥
स्वर रहित पद पाठयत् । क्षत्तारम् । ह्वयति । आ । श्रावयति । एव । तत् ॥११.१॥
भाष्य भाग
हिन्दी (1)
विषय
अतिथि के सत्कार का उपदेश।
पदार्थ
(यत्) जब वह [अतिथि] (क्षत्तारम्) कष्ट से तारनेवाले [धर्मात्मा गृहस्थ] को (ह्वयति) बुलाता है, (तत्) तब वह [अतिथि] (एव) निश्चय करके (आ श्रावयति) आदेश सुनाता है ॥१॥
भावार्थ
अतिथि लोग गृहस्थों के पास परोपकार में सहायता के लिये आते हैं ॥१॥
टिप्पणी
१−(यत्) यदा (क्षत्तारम्) अ० ३।२४।७। क्षतः क्षतात् तारकं धर्मात्मानं गृहस्थम् (ह्वयति) आह्वयति (आश्रावयति) आदिशति स्वप्रयोजनम् (एव) (तत्) तदा ॥
इंग्लिश (1)
Subject
Atithi Yajna: Hospitality
Meaning
Paryaya 6 When the host calls upon the cook, it is the Adhvaryu calling upon the Agnidh to the yajna.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१−(यत्) यदा (क्षत्तारम्) अ० ३।२४।७। क्षतः क्षतात् तारकं धर्मात्मानं गृहस्थम् (ह्वयति) आह्वयति (आश्रावयति) आदिशति स्वप्रयोजनम् (एव) (तत्) तदा ॥
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