Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 35/ मन्त्र 7
    ऋषिः - आदित्या देवा वा ऋषयः देवता - विश्वेदेवा देवताः छन्दः - त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    0

    परं॑ मृत्यो॒ऽ अनु॒ परे॑हि॒ पन्थां॒ यस्ते॑ऽ अ॒न्यऽ इत॑रो देव॒याना॑त्।चक्षु॑ष्मते शृण्व॒ते ते॑ ब्रवीमि॒ मा नः॑ प्र॒जा री॑रिषो॒ मोत वी॒रान्॥७॥

    स्वर सहित पद पाठ

    पर॑म्। मृत्यो॒ऽइति॒ मृत्यो॑। अनु॑। परा॑। इ॒हि॒। पन्था॑म्। यः। ते॒। अ॒न्यः। इत॑रः। दे॒व॒याना॒दिति॑ देव॒ऽयाना॑त् ॥ चक्षु॑ष्मते। शृ॒ण्व॒ते। ते॒। ब्र॒वी॒मि॒। मा। नः॒। प्र॒जामिति॑ प्र॒ऽजाम्। री॒रि॒षः॒। री॒रि॒ष॒ऽइति॑ रिरिषः। मा। उ॒त। वी॒रान् ॥७ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    परम्मृत्योऽअनु परेहि पन्थाँयस्तेऽअन्य इतरो देवयानात् । चक्षुष्मते शृण्वते ते ब्रवीमि मा नः प्रजाँ रीरिषो मोत वीरान् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    परम्। मृत्योऽइति मृत्यो। अनु। परा। इहि। पन्थाम्। यः। ते। अन्यः। इतरः। देवयानादिति देवऽयानात्॥ चक्षुष्मते। शृण्वते। ते। ब्रवीमि। मा। नः। प्रजामिति प्रऽजाम्। रीरिषः। रीरिषऽइति रिरिषः। मा। उत। वीरान्॥७॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 35; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    भावार्थ -
    हे (मृत्यो) दुष्टों के मारने वाले राजन् ! (यः) जो (ते) तेरा (देवयानात् ) देवों-विद्वानों के गमन करने योग्य मार्ग से (इतर) कोई और भिन्न मार्ग है तू उस (परं पन्थाम् अनु ) दूसरे मार्ग को लक्ष्य करके (परा इहि) (चक्षुष्मते) आंखों वाले, बुद्धिमान् और (शृण्वते) कानों वाले, प्रजाहितैषी (ते) तुझे ( ब्रवीमि ) उपदेश करता हूँ कि तू (नः) हमारी (प्रजाम् ) प्रजा को (उत) और ( वीरान् ) वीर पुरुषों को (मा रीरिषः) मत मार, उनका नाश मत कर, नियन्ता राजा शिष्टजनों के सदाचार से अतिरिक्त सदाचार के मार्ग पर दृष्टि रक्खे। वह आंख से प्रजा का व्यवहार देखे, कानों से उभय पक्ष को सुने । व्यर्थं प्रजा और वीर पुरुषों को न सतावे । (२) मृत्यु के पक्ष में — हे मृत्यो ! तू (देवयानात् ) अर्थात् विद्या के बल पर मोक्ष मार्ग के अतिरिक्त मार्ग से जो अर्थात् ज्ञानमार्गियों के लिये मृत्यु नहीं है । जन्म मरण का चक्र पितृयाण वालों और अविद्यामार्गियों को है । चक्षुष्मान् और कर्णवान् पुरुष तुझे ज्ञान का उपदेश करता है जिससे बाल और युवा पुत्रों को मृत्यु न सतावे ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - यमपुत्रः संकसुकः । मृत्युः । त्रिष्टुप् । धैवतः ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top