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ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 10 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 10/ मन्त्र 13
    ऋषिः - यमी वैवस्वती देवता - यमो वैवस्वतः छन्दः - स्वराडार्चीत्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    ब॒तो ब॑तासि यम॒ नैव ते॒ मनो॒ हृद॑यं चाविदाम । अ॒न्या किल॒ त्वां क॒क्ष्ये॑व यु॒क्तं परि॑ ष्वजाते॒ लिबु॑जेव वृ॒क्षम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ब॒तः । ब॒त॒ । अ॒सि॒ । य॒म॒ । न । ए॒व । ते॒ । मनः॑ । हृद॑यम् । च॒ । अ॒वि॒दा॒म॒ । अ॒न्या । किल॑ । त्वाम् । क॒क्ष्या॑ऽइव । यु॒क्तम् । परि॑ । स्व॒जा॒ते॒ । लिबु॑जाऽइव । वृ॒क्षम् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    बतो बतासि यम नैव ते मनो हृदयं चाविदाम । अन्या किल त्वां कक्ष्येव युक्तं परि ष्वजाते लिबुजेव वृक्षम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    बतः । बत । असि । यम । न । एव । ते । मनः । हृदयम् । च । अविदाम । अन्या । किल । त्वाम् । कक्ष्याऽइव । युक्तम् । परि । स्वजाते । लिबुजाऽइव । वृक्षम् ॥ १०.१०.१३

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 10; मन्त्र » 13
    अष्टक » 7; अध्याय » 6; वर्ग » 8; मन्त्र » 3
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    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (यम) हे दिवस ! (बत) हा ! दुःख है कि तू (बतः) विवश (असि) है, क्योंकि दैवकृत बाधा को सहसा कोई भी नहीं हटा सकता, इसलिए (ते) तेरे (मनः) मन (च) और (हदयम्) वक्षःस्थल को मैंने (न-एव) नहीं (अविदाम) प्राप्त किया (अन्या किल) मुझ से भिन्न कोई भी स्त्री (कक्ष्या-इव-युक्तम्) कक्ष-काँख में बंधी पेटी के समान सम्यक्प्रकार से (त्वाम्) तुझ को (परिष्वजाते) आलिङ्गन करे अथवा (लिबुजा इव वृक्षम्) जैसे लता वृक्ष को लिपटती है, वैसे तुझ से भी लिपटे ॥१३॥

    भावार्थ

    यदि स्त्री में कोई दोष है, जिसके कारण वह सन्तानोत्पत्ति में असमर्थ है, तो उसे भी चाहिए कि वह पति को दूसरी स्त्री से सन्तानोत्पत्ति के लिये अनुमति दे देवे ॥१३॥

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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (यम) हे दिवस ! (बत) हा ! दुःखं किं कुर्यां यत्त्वं (बतः-असि) बलादतीतो विवशोऽसि “बतः-बलादतीतः” [निरु० ६।२८] कुतः ? दैवकृतबाधकं न कश्चिदपि द्रागपाकर्तुं शक्नोति, तस्मात् (ते) तव (मनः-हृदयं च) मनो हृदयञ्च (न-एव अविदाम) नालभे ‘विद्लृ लाभे तुदादिरुभयतोभाषः’, “अस्मदो द्वयोश्च” [अष्टा० १।२।५९] इत्यनेनैकस्मिन् बहुवचनं (अन्या) मद्भिन्ना काचित् स्त्री (किल) हि (कक्ष्या-इव) कक्षगता बन्धनरज्जुरिव (युक्तम्) सम्यक् प्रकारेण (त्वां परि स्वजाते) त्वां परिष्वजेत-आलिङ्गेत् “लिङर्थे लेट्” सूत्रेण लेट्, अथ च (लिबुजा-इव वृक्षम्) लता वृक्षं यथा परिष्वजेत ॥१३॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    Yami: Sorry Yama, O day, it is a pity I did not know your mind and heart this way of nature. May be some one other than me too may join you like a girdle round your waist and embrace you like a creeper clinging by a tree.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    जर स्त्रीमध्ये एखादा दोष असेल व ती संतानोत्पत्ती करण्यास असमर्थ असेल तर त्याला (पतीला)ही दुसऱ्या स्त्रीकडून संतानोत्पत्तीसाठी अनुमती द्यावी. ॥१३॥

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