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ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 175 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 175/ मन्त्र 3
    ऋषिः - ऊर्ध्वग्रावार्बुदः देवता - ग्रावाणः छन्दः - विराड्गायत्री स्वरः - षड्जः

    ग्रावा॑ण॒ उप॑रे॒ष्वा म॑ही॒यन्ते॑ स॒जोष॑सः । वृष्णे॒ दध॑तो॒ वृष्ण्य॑म् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ग्रावा॑णः । उप॑रेषु । आ । म॒ही॒यन्ते॑ । स॒ऽजोष॑सः । वृ॒ष्णे॒ । दध॑तः । वृष्ण्य॑म् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ग्रावाण उपरेष्वा महीयन्ते सजोषसः । वृष्णे दधतो वृष्ण्यम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ग्रावाणः । उपरेषु । आ । महीयन्ते । सऽजोषसः । वृष्णे । दधतः । वृष्ण्यम् ॥ १०.१७५.३

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 175; मन्त्र » 3
    अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 33; मन्त्र » 3
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    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (ग्रावाणः) विद्वान् लोग (सजोषसः) समानप्रीतियुक्त हुए (वृष्णे) सुखवर्षक राजा के लिए (वृष्ण्यम्) बल को (दधतः) धारण कराते हुए प्रदान कराते हुए (उपरेषु) उपरमणीय पदों पर (आ महीयन्ते) भलीभाँति महिमा को प्राप्त होते हैं ॥३॥

    भावार्थ

    राष्ट्र के विद्वान् परस्पर प्रेम से संगठित होकर राजा को अपना यथायोग्य सहयोग और बल दें, तो ऊँचे अधिकारपदों पर सम्मानित होते हैं,उन्हें ऊँचा सम्मान देना चाहिये ॥३॥

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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (ग्रावाणः) विद्वांसः (सजोषसः) समानप्रीतियुक्ताः सन्तः (वृष्णे वृष्ण्यं दधतः) सुखवर्षकाय राज्ञे बलं धारयन्तः प्रयच्छन्तः (उपरेषु-आ-महीयन्ते) उपरमणीयपदेषु समन्तान्महत्त्वं प्राप्नुवन्ति ॥३॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    Sages and scholars in high positions, while they contribute generously to the power performance of the mighty generous ruler, they rise in honour and esteem among the people around since they love, respect and cooperate with them all.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    राष्ट्राच्या विद्वानांनी परस्पर प्रेमाने संगठित होऊन राजाला यथायोग्य सहयोग व बल द्यावे. तेव्हा ते उच्च अधिकार पदावर सन्मानित होतात. त्यांना उच्च प्रकारे सन्मानित केले पाहिजे. ॥३॥

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