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ऋग्वेद मण्डल - 2 के सूक्त 8 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 2/ सूक्त 8/ मन्त्र 2
    ऋषि: - गृत्समदः शौनकः देवता - अग्निः छन्दः - निचृत्पिपीलिकामध्यागायत्री स्वरः - षड्जः

    यः सु॑नी॒थो द॑दा॒शुषे॑ऽजु॒र्यो ज॒रय॑न्न॒रिम्। चारु॑प्रतीक॒ आहु॑तः॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यः । सु॒ऽनी॒थः । द॒दा॒शुषे॑ । अ॒जु॒र्यः । ज॒रय॑न् । अ॒रिम् । चारु॑ऽप्रतीकः । आऽहु॑तः ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यः सुनीथो ददाशुषेऽजुर्यो जरयन्नरिम्। चारुप्रतीक आहुतः॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यः। सुऽनीथः। ददाशुषे। अजुर्यः। जरयन्। अरिम्। चारुऽप्रतीकः। आऽहुतः॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 2; सूक्त » 8; मन्त्र » 2
    अष्टक » 2; अध्याय » 5; वर्ग » 29; मन्त्र » 2
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    संस्कृत (1)

    विषयः

    अथ विद्वद्विषयमाह।

    अन्वयः

    योऽग्निरिव चारुप्रतीक आहुतोऽजुर्यः सुनीथोऽरिञ्जरयन् ददाशुषे सुखं प्रयच्छति [सः] श्रीमान् जायते ॥२॥

    पदार्थः

    (यः) (सुनीथः) यः सुष्ठु नयति सः (ददाशुषे) दात्रे (अजुर्यः) अजीर्णेषु भवः (जरयन्) नाशयन् (अरिम्) शत्रुम् (चारुप्रतीकः) सुन्दरगुणकर्मस्वभावैः प्रतीतः (आहुतः) आमन्त्रितः ॥२॥

    भावार्थः

    अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा शिल्पकार्येषु प्रेरितोऽग्निरुत्तमानि कार्याणि साध्नोति तथा सुशिक्षिता धीमन्तो बह्वीमुन्नतिं कुर्वन्ति ॥२॥

    हिन्दी (1)

    विषय

    अब विद्वान् के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

    पदार्थ

    (यः) जो अग्नि के समान (चारुप्रतीकः) सुन्दर गुण, कर्म और स्वभावों से प्रतीत (आहुतः) वा बुलाया हुआ (अजुर्यः) जो न जीर्ण होते न नष्ट होते हैं। उनमें प्रसिद्ध (सुनीथः) सुन्दरता से सबकी प्राप्ति करता है और (अरिम्) शत्रुजन का (जरयन्) नाश करता हुआ (ददाशुषे) दानशील के लिये सुख देता है, वह लक्ष्मीवान् होता है ॥२॥

    भावार्थ

    इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे शिल्पकामों में प्रेरणा किया हुआ अग्नि उत्तम कामों को सिद्ध करता है, वैसे सुन्दर शिक्षा पाये हुए बुद्धिमान् जन बहुत सी उन्नति करते हैं ॥२॥

    मराठी (1)

    भावार्थ

    या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा शिल्पकार्यात प्रेरणा दिलेला अग्नी उत्तम काम करतो, तसे सुशिक्षित बुद्धिमान लोक पुष्कळ उन्नती करतात. ॥ २ ॥

    English (1)

    Meaning

    Agni, brilliant and leading power of the world, is generous for the liberal investor. Inexhaustible itself, it destroys the negative forces inimical to life. Beautiful and blissful in nature and character, it is invoked and lighted for power and comfort in life.

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