ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 56/ मन्त्र 7
उ॒ग्रं व॒ ओजः॑ स्थि॒रा शवां॒स्यधा॑ म॒रुद्भि॑र्ग॒णस्तुवि॑ष्मान् ॥७॥
स्वर सहित पद पाठउ॒ग्रम् । वः॒ । ओजः॑ । स्थि॒रा । शवां॑सि । अध॑ । म॒रुत्ऽभिः॑ । ग॒णः । तुवि॑ष्मान् ॥
स्वर रहित मन्त्र
उग्रं व ओजः स्थिरा शवांस्यधा मरुद्भिर्गणस्तुविष्मान् ॥७॥
स्वर रहित पद पाठउग्रम्। वः। ओजः। स्थिरा। शवांसि। अध। मरुत्ऽभिः। गणः। तुविष्मान् ॥७॥
ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 56; मन्त्र » 7
अष्टक » 5; अध्याय » 4; वर्ग » 23; मन्त्र » 7
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अष्टक » 5; अध्याय » 4; वर्ग » 23; मन्त्र » 7
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनः स्त्रियः कथं वर्तेरन्नित्याह ॥
अन्वयः
हे स्त्रियो ! वो मरुद्भिस्सहोग्रम् ओजः स्थिरा शवांस्यध गणस्तुविष्मान् भवतु ॥७॥
पदार्थः
(उग्रम्) तेजस्वी (वः) युष्माकम् (ओजः) पराक्रमः (स्थिरा) स्थिराणि दृढानि (शवांसि) बलानि (अधा) अथ। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (मरुद्भिः) उत्तमैर्मनुष्यैः (गणः) समूहः (तुविष्मान्) बलवान् ॥७॥
भावार्थः
या स्त्रियः स्वेषां पतीनां च बलं न ह्रासयन्ति तासां पुत्रपौत्रादिगणो बलवान् जायते ॥७॥
हिन्दी (3)
विषय
फिर स्त्री कैसे वर्तें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
पदार्थ
हे स्त्रियो ! (वः) तुम्हारा (मरुद्भिः) उत्तम मनुष्यों के साथ (उग्रम्) तेजस्वी (ओजः) पराक्रम और (स्थिरा) स्थिर दृढ़ (शवांसि) बल (अध) इस के अनन्तर (गणः) समूह (तुविष्मान्) बलवान् हो ॥७॥
भावार्थ
जो स्त्रियाँ अपने पतियों के बल को न क्षीण करातीं, उनका पुत्र-पौत्रादि समूह बलवान् होता है ॥७॥
विषय
सेनानायक के उत्तम गुण और योग्यता ।
भावार्थ
हे विद्वानो, वीरो, प्रजाजनो वा जीवो ! ( नः ) आप लोगों का (ओजः ) बल पराक्रम ( उग्रं ) उन्नत कोटि का, शत्रुओं को भयप्रद, गम्भीर और (वः शवांसि स्थिरा) आप लोगों का बल स्थिर और (मरुद्भिः सहगणः ) बलवान् वीरों, प्राणों तथा विद्वानों सहित गण ( तुविष्मान् ) बलवान् हो ।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
वसिष्ठ ऋषिः ।। मरुतो देवताः ॥ छन्दः -१ आर्ची गायत्री । २, ६, ७,९ भुरिगार्ची गायत्रीं । ३, ४, ५ प्राजापत्या बृहती । ८, १० आर्च्युष्णिक् । ११ निचृदार्च्युष्णिक् १२, १३, १५, १८, १९, २१ निचृत्त्रिष्टुप् । १७, २० त्रिष्टुप् । २२, २३, २५ विराट् त्रिष्टुप् । २४ पंक्तिः । १४, १६ स्वराट् पंक्तिः ॥ पञ्चविंशत्यृचं सूक्तम् ॥
विषय
ओजस्वी वीर
पदार्थ
पदार्थ- हे प्रजाजनो ! (वः) = आप लोगों का (ओजः) = तेज (उग्रं) = उन्नत कोटि का और (शवांसि स्थिरा) = बल स्थिर और (मरुद्भिः सह गण:) = बलवान् वीरों, विद्वानों सहित गण (तुविष्मान्) = बलवान् हो ।
भावार्थ
भावार्थ- राष्ट्र की सेना पराक्रमी, उग्र तथा स्थिर बलवाली होवे। प्राणशक्ति से युक्त सैनिक बलवान् हों।
मराठी (1)
भावार्थ
ज्या स्त्रिया आपल्या पतीचे बल क्षीण करीत नाहीत त्यांचे पुत्रपौत्रही बलवान असतात. ॥ ७ ॥
इंग्लिश (1)
Meaning
Your vigour is bright and passionate, your courage and valour is constant and inviolable, and your republic is strong and invulnerable by virtue of the vibrant warriors.
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