ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 24/ मन्त्र 10
आ वृ॑षस्व महामह म॒हे नृ॑तम॒ राध॑से । दृ॒ळ्हश्चि॑द्दृह्य मघवन्म॒घत्त॑ये ॥
स्वर सहित पद पाठआ । वृ॒ष॒स्व॒ । म॒हा॒ऽम॒ह॒ । म॒हे । नृ॒ऽत॒म॒ । राध॑से । दृ॒ळ्हः । चि॒त् । दृ॒ह्य॒ । म॒घ॒ऽव॒न् । म॒घत्त॑ये ॥
स्वर रहित मन्त्र
आ वृषस्व महामह महे नृतम राधसे । दृळ्हश्चिद्दृह्य मघवन्मघत्तये ॥
स्वर रहित पद पाठआ । वृषस्व । महाऽमह । महे । नृऽतम । राधसे । दृळ्हः । चित् । दृह्य । मघऽवन् । मघत्तये ॥ ८.२४.१०
ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 24; मन्त्र » 10
अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 16; मन्त्र » 5
Acknowledgment
अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 16; मन्त्र » 5
Acknowledgment
भाष्य भाग
English (1)
Meaning
O greatest of the great, supreme guide and leader of life, for the greatness and glory of humanity on earth, shower your munificence of knowledge, will and action on us and, O lord of honour and grandeur, for our honour and progress break down the strongholds of evil, darkness, ignorance and inertness.
मराठी (1)
भावार्थ
परमात्मा सर्व धनसंपन्न आहे व न्यायकर्ता आहे. त्यासाठी अन्यायी पुरुषांचे धन हिसकावून घेतो. ॥१०॥
संस्कृत (1)
विषयः
अनेन मन्त्रेण तस्य दानं दर्शयति ।
पदार्थः
हे महामह=परमपूज्य ! हे नृतम=नायकतम ! हे मघवन्=सर्वधन ! महे=महते । राधसे=अभ्युदयाय । आवृषस्व=सिञ्च । तथा । मघत्तये=धनलाभाय । दृढश्चित्=दृढान्यपि शत्रुपुराणि । दृह्य=जिघांस ॥१० ॥
हिन्दी (1)
विषय
इस मन्त्र से उसका दान दिखलाते हैं ।
पदार्थ
(महामह) हे परमपूज्य ! (नृतम) हे परम नायक ! (मघवन्) हे सर्वधनसम्पन्न ! (महे+राधसे) महान् अभ्युदय के लिये (आवृषस्व) अपनी सम्पत्तियाँ और ज्ञान इस जगत् में सींच और (मघत्तये) धनवृद्धि के लिये (दृढः+चित्) दृढ़ भी दुष्टों के नगरों का (दृह्य) विनाश कर ॥१० ॥
भावार्थ
परमात्मा सर्वधनसम्पन्न है और न्यायकर्त्ता है, अतः अन्यायी पुरुषों के धनों को वह छीन लेता है ॥१० ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Dhiman
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal