Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 15 के मन्त्र

मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 15/ मन्त्र 1
    ऋषि: - अथर्वा देवता - इन्द्रः छन्दः - पथ्या बृहती सूक्तम् - अभय सूक्त
    67

    यत॑ इन्द्र॒ भया॑महे॒ ततो॑ नो॒ अभ॑यं कृधि। मघ॑वञ्छ॒ग्धि तव॒ त्वं न॑ ऊ॒तिभि॒र्वि द्विषो॒ वि मृधो॑ जहि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यतः॑। इ॒न्द्र॒। भया॑महे। ततः॑। नः॒। अभ॑यम्। कृ॒धि॒। मघ॑ऽवन्। श॒ग्धि। तव॑। त्वम्। नः॒। ऊ॒तिऽभिः॑। वि। द्विषः॑। वि। मृधः॑। ज॒हि॒ ॥१५.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यत इन्द्र भयामहे ततो नो अभयं कृधि। मघवञ्छग्धि तव त्वं न ऊतिभिर्वि द्विषो वि मृधो जहि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यतः। इन्द्र। भयामहे। ततः। नः। अभयम्। कृधि। मघऽवन्। शग्धि। तव। त्वम्। नः। ऊतिऽभिः। वि। द्विषः। वि। मृधः। जहि ॥१५.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 15; मन्त्र » 1
    Acknowledgment

    हिन्दी (2)

    विषय

    राजा के कर्त्तव्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (इन्द्र) हे इन्द्र ! [बड़े ऐश्वर्यवाले राजन्] (यतः) जिससे (भयामहे) हम डरते हैं, (ततः) उससे (नः) हमें (अभयम्) अभय (कृधि) करदे। (मघवन्) हे महाधनी ! (त्वम्) तू (तव) अपनी (ऊतिभिः) रक्षाओं से (नः) हमें (शग्धि) शक्ति दे, (द्विषः) द्वेषियों को और (मृधः) सङ्ग्रामों को (वि) विशेष करके (विजहि) विनाश करदे ॥१॥

    भावार्थ

    राजा को चाहिये कि प्रजा को जिन शत्रुओं से भय हो, उनको नाश करके प्रजा में शान्ति स्थापित करे ॥१॥

    टिप्पणी

    यह मन्त्र ऋग्वेद में है-८।६१ [वा सायणभाष्य ५०]।१३, साम० पू०३।९।२ तथा उ०५।२।१५॥१−(यतः) यस्मात् कारणात् (इन्द्र) हे परमैश्वर्यवन् राजन् (भयामहे) बिभीमः (ततः) तस्मात् कारणात् (नः) अस्मभ्यम् (अभयम्) भयराहित्यम् (कृधि) कुरु (मघवन्) हे बहुधनवन् (शग्धि) शकेर्लोट् शक्तिं देहि (तव) स्वकीयाभिः (त्वम्) (नः) अस्मभ्यम् (ऊतिभिः) रक्षाभिः (वि) विशेषेण (द्विषः) द्वेष्टॄन्। द्रोहिणः (मृधः) संग्रामान्-निघ०२।१७। (वि जहि) विनाशय ॥

    Vishay

    Padartha

    Bhavartha

    English (1)

    Subject

    Fearlessness

    Meaning

    Indra, ruler of the world, whatever we fear from, wherever we fear, give us freedom from fear everywhere. O lord of power and glory, strengthen us with all your modes and means of protection. Eliminate all haters, destroy all conflict and eliminate mutual warfare.

    Top