Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 2 के सूक्त 17 के मन्त्र

मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 2/ सूक्त 17/ मन्त्र 7
    ऋषि: - ब्रह्मा देवता - प्राणः, अपानः, आयुः छन्दः - आसुरी उष्णिक् सूक्तम् - बल प्राप्ति सूक्त
    27

    प॑रि॒पाण॑मसि परि॒पाणं॑ मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प॒रि॒ऽपान॑म् । अ॒सि॒ । प॒रि॒ऽपान॑म् । मे॒ । दा॒: । स्वाहा॑ ॥१७.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    परिपाणमसि परिपाणं मे दाः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    परिऽपानम् । असि । परिऽपानम् । मे । दा: । स्वाहा ॥१७.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 2; सूक्त » 17; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    हिन्दी (2)

    विषय

    आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    [हे परमेश्वर !] तू (परिपाणम्) सब प्रकार पालनशक्ति (असि) है, (मे) मुझे (परिपाणम्) सब प्रकार की पालनशक्ति (दाः) दे, (स्वाहा) यह आशीर्वाद हो ॥७॥

    भावार्थ

    परमेश्वर को अथर्ववेद १९।६।१। में (सहस्रबाहुः) अनन्त भुजाओं की शक्तिवाला कहा है। मनुष्य उसकी अनन्त रक्षणशक्ति देखकर आप भी मनुष्यों में (सहस्रबाहुः) महारक्षक और (शतक्रतुः) शतकर्मा अर्थात् बहुकार्यकर्त्ता होवे ॥७॥ इति तृतीयोऽनुवाकः ॥ इति तृतीयः प्रपाठकः ॥

    टिप्पणी

    ७–परिपाणम्। परि+पा रक्षणे–ल्युट्। कृत्यचः। पा० ८।४।२९। इति नस्य णत्वम्। परितः सर्वतः पालनं रक्षणसामर्थ्यम् ॥

    Vishay

    Padartha

    Bhavartha

    English (1)

    Subject

    Elan Vital at the Full

    Meaning

    You are the ultimate cover and protection. Give me the cover and protection of divinity for defence of the self against evil and negation. This is the voice of prayer in truth of word and deed.

    Top