Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 2 के सूक्त 22 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 22/ मन्त्र 4
    ऋषिः - अथर्वा देवता - चन्द्रः छन्दः - एकावसानानिचृद्विषमात्रिपाद्गायत्री सूक्तम् - शत्रुनाशन सूक्त
    72

    चन्द्र॒ यत्ते॑ शो॒चिस्तेन॒ तं प्रति॑ शोच॒ यो॑३ ऽस्मान्द्वेष्टि॒ यं व॒यं द्वि॒ष्मः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    चन्द्र॑ । यत् । ते॒ । शो॒चि: । तेन॑ । तम् । प्रति॑ । शो॒च॒ । य: । अ॒स्मान् । द्वेष्टि॑ । यम् । व॒यम् । द्वि॒ष्म: ॥२२.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    चन्द्र यत्ते शोचिस्तेन तं प्रति शोच यो३ ऽस्मान्द्वेष्टि यं वयं द्विष्मः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    चन्द्र । यत् । ते । शोचि: । तेन । तम् । प्रति । शोच । य: । अस्मान् । द्वेष्टि । यम् । वयम् । द्विष्म: ॥२२.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 2; सूक्त » 22; मन्त्र » 4
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    कुप्रयोग के त्याग के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    (चन्द्र) हे चन्द्र [चन्द्रलोक !] (यत्) जो (ते) तेरी (शोचिः) शोधनशक्ति है, (तेन) उससे (तम्) उस [दोष] को (प्रति शोच) शुद्ध कर दे (यः) जो (अस्मान्) हमसे.... मन्त्र १ ॥४॥

    भावार्थ

    मन्त्र १ के समान ॥४॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    ५ भुरिग्विषमात्रिपाद्गायत्री।

    पदार्थ

    १,  २,  ३,  ४,  ५  एवं  मन्त्र संख्या के  केवल भावार्थ ही है |

    भावार्थ

    सदा आह्वादमय प्रभु [चन्द्र] अपने तप आदि के द्वारा द्वेष-भावना को दूर करे। राष्ट्र में राजा भी चन्द्र है। इसे अपने आह्लादमय स्वभाव से प्रजा के स्वभाव में भी परिवर्तन करना है। समाज में एक ज्ञानी प्रचारक को भी ज्ञान-प्रसार के साथ अपनी प्रसादमयी मनोवृत्ति से सभी को द्वेष से रहित होने की प्रेरणा देनी है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    [चन्द्र द्वारा परमेश्वर अभिप्रेत है, जोकि दुष्कर्मी को उसके दुष्कर्मों के फलस्वरूप में शोकान्वित करता है। प्राकृतिक चाँद में शोकान्वित करने का कोई अभिप्राय प्रतीत नहीं होता।]

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    द्वेष करने वालों के सम्बन्ध में प्रार्थना ।

    भावार्थ

    हे (चन्द्र) समस्त जगत् के आह्लादक परमात्मन् ! शेष सब पूर्ववत् ।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ऋषिश्छन्दश्च पूर्ववत् । चन्द्रो देवता । पञ्चर्चं सूक्तम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Chandra Devata

    Meaning

    O moon, the light beam that is yours, with that cleanse that which hates us and that which we hate to suffer.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    O moon, whatever afflicting power (Socis) you have, with that you afflict him, who hates us and whom we hate.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Let the moon...... etc. like the pervious Hymn. XIX.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    O God, the Gladdener of the universe, like the Moon, with Thy Refulgence, grant him, who hates us, or whom we do not love, light, so that he may abandon hatred.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    इस भाष्य को एडिट करें

    बंगाली (2)

    भाषार्थ

    (চন্দ্র) হে চাঁদ ! (যৎ তে শোচিঃ) যে তোমার শোকজননশক্তি রয়েছে, (তেন) তা দ্বারা (তম্) তাঁকে (প্রতি শোচঃ) শোক প্রদান করাও (যঃ) যাঁরা/যে (অস্মান্ দ্বেষ্টি) আমাদের সাথে দ্বেষ করে, (যম্) এবং যাঁর সাথে (বয়ম্) আমরা (দ্বিষ্মঃ) অপ্রীতি করি।

    टिप्पणी

    [চন্দ্র দ্বারা পরমেশ্বর অভিপ্রেত হয়েছে, যিনি দুষ্কর্মীদের তাঁর দুষ্কর্মের ফলস্বরূপ শোকান্বিত করেন। প্রাকৃতিক চাঁদে শোকান্বিত করার কোনো অভিপ্রায় প্রতীত হয় না।]

    इस भाष्य को एडिट करें

    मन्त्र विषय

    কুপ্রয়োগত্যাগায়োপদেশঃ

    भाषार्थ

    (চন্দ্র) হে চন্দ্র [চন্দ্রলোক !] (যৎ) যে (তে) তোমার (শোচিঃ) শোধনশক্তি আছে, (তেন) তা দ্বারা (তম্) সেই [দোষকে] (প্রতি শোচ) শুদ্ধ করো (যঃ) যা (অস্মান্) আমাদের প্রতি (দ্বেষ্টি) অপ্রীতি করে, [অথবা] (যম্) যার প্রতি (বয়ম্) আমরা (দ্বিষ্মঃ) অপ্রীতি করি ॥৪॥

    भावार्थ

    মন্ত্র ১ এর সমান ॥৪॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top