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अथर्ववेद के काण्ड - 3 के सूक्त 29 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 29/ मन्त्र 7
    सूक्त - उद्दालकः देवता - कामः छन्दः - त्र्यवसाना षट्पदा उपरिष्टाद्दैवी बृहती ककुम्मतीगर्भा विराड्जगती सूक्तम् - अवि सूक्त
    46

    क इ॒दं कस्मा॑ अदा॒त्कामः॒ कामा॑यादात्। कामो॑ दा॒ता कामः॑ प्रतिग्रही॒ता कामः॑ समु॒द्रमा वि॑वेश। कामे॑न त्वा॒ प्रति॑ गृह्णामि॒ कामै॒तत्ते॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    क: । इ॒दम् । कस्मै॑ । अ॒दा॒त् । काम॑: । कामा॑य । अ॒दा॒त् । काम॑: । दा॒ता । काम॑: । प्र॒ति॒ऽग्र॒ही॒ता । काम॑: । स॒मु॒द्रम् । आ । वि॒वे॒श॒ । कामे॑न । त्वा॒ । प्रति॑ । गृ॒ह्णा॒मि॒ । काम॑ । ए॒तत् । ते॒ ॥२९.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    क इदं कस्मा अदात्कामः कामायादात्। कामो दाता कामः प्रतिग्रहीता कामः समुद्रमा विवेश। कामेन त्वा प्रति गृह्णामि कामैतत्ते ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    क: । इदम् । कस्मै । अदात् । काम: । कामाय । अदात् । काम: । दाता । काम: । प्रतिऽग्रहीता । काम: । समुद्रम् । आ । विवेश । कामेन । त्वा । प्रति । गृह्णामि । काम । एतत् । ते ॥२९.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 3; सूक्त » 29; मन्त्र » 7
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    हिन्दी (1)

    विषय

    मनुष्य परमेश्वर की भक्ति से सुख पाता है।

    पदार्थ

    (कः) किसने (इदम्) यह [कर्मफल] (कस्मै) किसको (अदात्) दिया है ? [इसका उत्तर] (कामः) मनोरथ [वा कामना योग्य परमेश्वर] ने (कामाय) मनोरथ [वा कामना करनेवाले जीव] को (अदात्) दिया है। (कामः) मनोरथ [वा कमनीय ईश्वर] (दाता) देनेवाला और (कामः) मनोरथ [वा कामनावाला जीव] (प्रतिग्रहीता) लेनेवाला है। (कामः) मनोरथ ने (समुद्रम्) समुद्र [पार्थिव समुद्र वा अन्तरिक्ष] में (आ विवेश) प्रवेश किया है। (काम) हे मनोरथ ! [वा कमनीय ईश्वर] (त्वा) तुझको (प्रति गृह्णामि) मैं जीव ग्रहण करता हूँ, (एतत्) यह [सब काम] (ते) तेरा है ॥७॥

    भावार्थ

    संसार में देना लेना अर्थात् सब उपकारी काम कामना से सिद्ध होते हैं, कामना से ही प्रयत्न के साथ मन देने पर मनुष्य के सब कठिन कामों को परमेश्वर सुगम कर देता है ॥७॥ यह मन्त्र कुछ भेद से यजुर्वेद ७।४८ में है। उसका अर्थ यहाँ श्रीमद् दयानन्द सरस्वती के भाष्य के आधार पर किया है। को॑ऽदा॒त् कस्मा॑ अ॒दात् कामो॑ऽदा॒त् कामा॑यादात्। कामो॑ दा॒ता कामः॑ प्रतिग्र॒हीता कामैतत्ते॑ ॥ य० ७।४८ ॥ (कः) किसने [कर्मफल] (अदात्) दिया है, और [कस्मै] किसको [अदात्] दिया है। इन दो प्रश्नों के उत्तर, (कामः) कामना योग्य परमेश्वर ने (अदात्) दिया है, और (कामाय) कामना करनेवाले जीव को (अदात्) दिया है। (कामः) योगीजनों के कामना योग्य परमेश्वर [दाता] देनेवाला है। (कामः) कामना करनेवाला जीव (प्रतिग्रहीता) लेनेवाला है। (काम) हे कामना करनेवाले जीव ! (ते) तेरे लिये (एतत्) यह सब है ॥

    टिप्पणी

    ७−(इदम्) कर्मफलम् (अदात्) दत्तवान् (कामः) कमु-घञ्। कामना। सर्वैः कमनीयः परमेश्वरः। कामयमानो जीवः (दाता) कर्मफलस्य प्रदायकः (प्रतिग्रहीता) स्वीकर्ता (समुद्रम्) अगम्यस्थानम्। जलधिम्। अन्तरिक्षम्। (आ विवेश) प्रविष्टवान्। प्राप्तवान् (त्वा) कामम् (प्रति गृह्णामि) अङ्गीकरोमि (एतत्) कर्म (ते) तुभ्यम्। अन्यत् सुगमम् ॥

    इंग्लिश (1)

    Subject

    Taxation, Development, Administration

    Meaning

    Who gives this homage of contribution? To whom? For what? It is love that gives. To love, for love, it gives. Love is the giver. Love is the receiver. It is love that enters and rolls in the ocean of existence. And so says the mother earth: I receive you and welcome you with love. It is all a play of divine love, it is all for you, O man, child of Divinity.

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ७−(इदम्) कर्मफलम् (अदात्) दत्तवान् (कामः) कमु-घञ्। कामना। सर्वैः कमनीयः परमेश्वरः। कामयमानो जीवः (दाता) कर्मफलस्य प्रदायकः (प्रतिग्रहीता) स्वीकर्ता (समुद्रम्) अगम्यस्थानम्। जलधिम्। अन्तरिक्षम्। (आ विवेश) प्रविष्टवान्। प्राप्तवान् (त्वा) कामम् (प्रति गृह्णामि) अङ्गीकरोमि (एतत्) कर्म (ते) तुभ्यम्। अन्यत् सुगमम् ॥

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