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अथर्ववेद के काण्ड - 4 के सूक्त 12 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 12/ मन्त्र 7
    ऋषिः - ऋभुः देवता - वनस्पतिः छन्दः - बृहती सूक्तम् - रोहिणी वनस्पति सूक्त
    97

    यदि॑ क॒र्तं प॑ति॒त्वा सं॑श॒श्रे यदि॒ वाश्मा॒ प्रहृ॑तो ज॒घान॑। ऋ॒भू रथ॑स्ये॒वाङ्गा॑नि॒ सं द॑ध॒त्परु॑षा॒ परुः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यदि॑ । क॒र्तम् । प॒ति॒त्वा । स॒म्ऽश॒श्रे । यदि॑ । वा॒ । अश्मा॑ । प्रऽहृ॑त: । ज॒घान॑ । ऋ॒भु: । र॑थस्यऽइव । अङ्गा॑नि । सम् । द॒ध॒त् । परु॑षा । परु॑: ॥१२.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यदि कर्तं पतित्वा संशश्रे यदि वाश्मा प्रहृतो जघान। ऋभू रथस्येवाङ्गानि सं दधत्परुषा परुः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यदि । कर्तम् । पतित्वा । सम्ऽशश्रे । यदि । वा । अश्मा । प्रऽहृत: । जघान । ऋभु: । रथस्यऽइव । अङ्गानि । सम् । दधत् । परुषा । परु: ॥१२.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 4; सूक्त » 12; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    अपने दोष मिटाने का उपदेश।

    पदार्थ

    (यदि) यदि (कर्तम्) कटारी आदि हथियार ने (पतित्वा) गिर कर (संशश्रे) काट दिया है, (यदि वा) अथवा (प्रहृतः) फेंके हुए (अश्मा) पत्थर ने (जघान) चोट लगाई है। (ऋभुः) बुद्धिमान् पुरुष (रथस्य अङ्गानि इव) रथ के अङ्गों के समान (परुः) एक जोड़े को (परुषा) दूसरे जोड़ से ( सं दधत्) मिला देवे ॥७॥

    भावार्थ

    बुद्धिमान् पुरुष अपने विचलित मन को इस प्रकार ठीक करे, जैसे चिकित्सक चोट को और शिल्पी टूटे रथ को फिर जोड़कर सुधार लेते हैं ॥७॥

    टिप्पणी

    ७−(यदि) पक्षान्तरे। सम्भावनायाम् (कर्तम्) कृती छेदने-घञ्। कर्तकं छेदकमायुधम्। कर्त्तरी। कृपाणी (पतित्वा) अधः प्राप्य (संशश्रे) शॄ हिंसायाम्-लिट्। संशृणाति स्म। संहिनस्ति स्म (यदि वा) अपि वा (अश्मा) प्रस्तरः (प्रहृतः) प्रक्षिप्तः (जघान) हन-लिट्। हतवान् (ऋभुः) अ० १।२।३। मेधावी-निघ० ३।५। (रथस्य) (इव) यथा (अङ्गानि) अक्षचक्रेषायुगादीनि (सं दधत्) संदधातु। संयोजयतु (परुषा) पर्वान्तरेण (परुः) पर्व ॥

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    विषय

    सब रथाङ्गों का ठीक होना

    पदार्थ

    १. यदि (कर्तम्) = यदि किसी छेदक आयुध ने (पतित्वा) = गिरकर (संशश्रे) = हिंसित किया है, (यदि वा) = अथवा किसी के द्वारा (अश्मा) = पाषाण [पत्थर] (प्रहृतः) = फेंका हुआ (जघान) = पुरुष को हिंसित करता है तो इस रोहणी औषध का सामर्थ्य (परु:) = पर्व को (परुषा) = दूसरे पर्व से (सन्दधत्) = संहित कर दे-फिर से घाव को ठीक करके सब पयों को ठीक से संश्लिष्ट कर दे। २. यह ओषधि सब अङ्गों को इसप्रकार संश्लिष्ट कर दे (इव) = जैसेकि (ऋभुः) = ज्ञानी शिल्पी (रथस्य अंगानि) = रथ के अंगों को संश्लिष्ट कर देता है। संश्लिष्ट [जुड़ा] हुआ रथ ठीक गतिवाला होता है, इसीप्रकार यह आहत पुरुष भी अब संश्लिष्ट-अङ्ग होकर कार्यों में शीघ्रता से गतिवाला हो।

    भावार्थ

    यदि किसी आयुध या पत्थर से घाव हो गया है तो यह रोहणी ओषधि उसे ठीक कर दे। इसके प्रयोग से ठीक हुआ-हुआ शरीर-रथ अपने कार्यों में व्यास हो।

    विशेष

    नीरोग हुआ-हुआ यह पुरुष सब अङ्गों में शान्तिवाला हुआ-हुआ 'शन्ताति' कहलाता है। यह नीरोगता के लिए ही प्रार्थना करता हुआ कहता है -

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    भाषार्थ

    (यदि) यदि (कर्तम्) छेदक आयुध ने (पतित्वा) शरीर पर गिरकर (संशश्रे) शरीर को हिंसित किया है, चोट पहुंचाई है, (यदि वा) अथवा (प्रहृतः) शत्रु द्वारा प्रहाररूप में फेंके गये (अश्मा) पत्थर ने (जघान) तेरे किसी अङ्ग का हनन किया है, तो (ऋभु:) तर्खाना (इव) जैसे (रथस्य अङ्गानि) रथ के अङ्गों को (संदधत्) जोड़ देता है [इसी प्रकार रोहणी अर्थात् लाक्षा] (परुषा परुः) तेरे जोड़ के साथ जोड़ की सन्धि कर दे।

    टिप्पणी

    [कर्तम् =कृती छेदने (तुदादि:), छेदकम् आयुधम् (सायण), अथवा कर्तम्= गर्तम्, वर्णविकारः। संशश्रे= शृ हिंसायाम्; लिटि। कर्तम् पतित्वा=कर्ते गर्ते पतित्वा।]

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    विषय

    कटे फटे अंगों की चिकित्सा।

    भावार्थ

    उपसंहार में इस क्षतचिकित्सा का गुण दिखाते हैं। (यदि) यदि शरीर पर (कर्तम्) काटने वाला गंडासा या तलवार भी (पतित्वा) गिर कर (संशश्रे) शरीर में घाव कर जाय, (यदि वा) या (अश्मा) शिला (प्रहृतः) फेंका हुआ आकर (जघान) शरीर पर आघात करे तो भी वैद्य (परुषः परुः) पोरु से पुरु मिला कर इस प्रकार (सं दधत्) जोड़ दे जैसे (ऋभुः) विद्वान् शिल्पी (रथस्य) रथ के (अङ्गानि इव) टुकड़ों २ को जोड़ कर खड़ा कर देता है।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ऋभुर्ऋषिः। वनस्पतिर्देवता। १ त्रिपदा गायत्री। ६ त्रिपदा यवमध्या भुरिग्गायत्रीं। ७ भुरिक्। २, ५ अनुष्टुभः। सप्तर्चं सूक्तम्।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Rohini Vanaspati

    Meaning

    If the wound is caused by a large knife, or a stone-shot has hit you, let the surgeon join, part with part as an expert technician repairs and rejoins the parts of a chariot.

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    Translation

    If a flying weapon has injured or hurled stone has struck him, may this plant join his limb with limb properly as an expert car-maker joins the parts of a chariot.

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    Translation

    If the large knife falling upon the body causes wound, if stone cast by some one strikes him, let the skilled physician join his limb with limb as a skilled mechanic joins the parts of the car.

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    Translation

    If he be torn and shattered by the blow of a sword, or struck by a cast throne, let the application of the herb join limb with limb, as a skilled artisan joins the portions of a car.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ७−(यदि) पक्षान्तरे। सम्भावनायाम् (कर्तम्) कृती छेदने-घञ्। कर्तकं छेदकमायुधम्। कर्त्तरी। कृपाणी (पतित्वा) अधः प्राप्य (संशश्रे) शॄ हिंसायाम्-लिट्। संशृणाति स्म। संहिनस्ति स्म (यदि वा) अपि वा (अश्मा) प्रस्तरः (प्रहृतः) प्रक्षिप्तः (जघान) हन-लिट्। हतवान् (ऋभुः) अ० १।२।३। मेधावी-निघ० ३।५। (रथस्य) (इव) यथा (अङ्गानि) अक्षचक्रेषायुगादीनि (सं दधत्) संदधातु। संयोजयतु (परुषा) पर्वान्तरेण (परुः) पर्व ॥

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