अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 70/ मन्त्र 3
ऋषिः - अथर्वा
देवता - श्येनः
छन्दः - पुरःककुम्मत्यनुष्टुप्
सूक्तम् - शत्रुदमन सूक्त
59
अ॑जिराधिरा॒जौ श्ये॒नौ सं॑पा॒तिना॑विव। आज्यं॑ पृतन्य॒तो ह॑तां॒ यो नः॒ कश्चा॑भ्यघा॒यति॑ ॥
स्वर सहित पद पाठअ॒जि॒र॒ऽअ॒धि॒रा॒जौ । श्ये॒नौ । सं॒पा॒तिनौ॑ऽइव । आज्य॑म् । पृ॒त॒न्य॒त: । ह॒ता॒म् । य: । न॒: । क: । च॒ । अ॒भि॒ऽअ॒घा॒यति ॥७३.३॥
स्वर रहित मन्त्र
अजिराधिराजौ श्येनौ संपातिनाविव। आज्यं पृतन्यतो हतां यो नः कश्चाभ्यघायति ॥
स्वर रहित पद पाठअजिरऽअधिराजौ । श्येनौ । संपातिनौऽइव । आज्यम् । पृतन्यत: । हताम् । य: । न: । क: । च । अभिऽअघायति ॥७३.३॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
शत्रु के दमन का उपदेश।
पदार्थ
(अजिराधिराजौ) शीघ्रगामी दोनों बड़े राजा [दरिद्रता] और मृत्यु-म० १ (सम्पातिनौ) झपट मारनेवाले (श्येनौ इव) दो श्येन वा वाज पक्षी के समान (पृतन्यतः) उस चढ़ाई करनेवाले शत्रु को (आज्यम्) घृत [तत्त्वपदार्थ] को (हताम्) नाश करें (यः कः च) जो कोई (नः) हम से (अभ्यघायति) दुष्ट आचरण करें ॥३॥
भावार्थ
दुःखदायी शत्रुओं के नाश करने में राजा शीघ्रता करें ॥३॥
टिप्पणी
३−(अजिराधिराजौ) अजिरशिशिरशिथिल०। उ० १।५३। अज गतिक्षेपणयोः-किरच्। अजिरः शीघ्रगामी। अधिराजः। राजाहःसखिभ्यष्टच् पा० ५।४।९१। इति टच्। अधिको राजा। तौ निर्ऋतिमृत्यू (श्येनौ) अ० ३।३।३। पक्षिविशेषौ (सम्पातिनौ) निष्पतनशीलौ (इव) यथा (आज्यम्) घृतम्। तत्त्वपदार्थम् (पृतन्यतः) अ० १।२१।२। सङ्ग्रामेच्छोः (हताम्) नाशयताम् (यः) (नः) अस्मान् (कः च) कश्चित् (अभ्यघायति) अ० ५।६।९। पापं कर्तुमिच्छति ॥
विषय
अजिर+अधिराज
पदार्थ
१. (अजिर-अधिराजौ) = [अज गतिक्षेपणयो:, राजू दीसी] गतिशील व इन्द्रियों का शासक ये दोनों व्यक्ति (संपातिनौ श्येनौ इव) = आकाशमार्ग से द्वेष्य पक्षी पर निष्पतनशील बाज़ों के समान हैं। जैसे बाज शत्रुभूत पक्षी का विनाश करता है, इसी प्रकार ये अजिर और अधिराज (पृतन्यतः आज्यं हताम्) = सेना द्वारा संग्रामेच्छु पुरुष की दीप्ति को नष्ट करते हैं (यः च कश्चन) = और जो कोई शत्रु (नः) = हमपर (अभ्यघायति) = हिंसारूप पापकर्म करना चाहता है, उसकी दीप्ति को नष्ट करते हैं।
भावार्थ
हम गतिशील [अजिर] व इन्द्रियों के शासक [अधिराज] बनकर शत्रुओं को नष्ट करें।
भाषार्थ
(अजिराधिराजौ) अजिर अर्थात् शत्रुसेना का क्षेपण करने वाला सेनापति, और अधिराज, (संपातिनी) युगपत् [शिकार पर] पतन करने वाले (श्येनौ) दो श्येनों की (इव) तरह, (पृतन्यतः) संग्राम-चाहने वाले शत्रु के (आज्यम्) आजिकर्म अर्थात् युद्धकर्म का (हताम्) हनन करें, (यः) तथा जो (कश्च) कोई भी शत्रु (नः) हमारे (अभि) अभिमुख होकर (अघायति) हमारी हिंसारूपी पापकर्म करना चाहता है, उस का भी हनन करें।
टिप्पणी
[अजिर:= अज गतिक्षेपणयोः (भ्वादिः) जो शीघ्रगतिक हो कर शत्रुदल के क्षेपण में समर्थ हो ऐसा सेनापति। अधिराजः= राज्ञामधिपतिः, अर्थात् सम्राट्। यथा “अधिराजो राजसु राजयातै" (अथर्व० ६।९८।१)। अघायति = अघं हननमिच्छति, अघ + क्यच् (परेच्छायाम्) छन्दसि। हताम्= युद्ध में हनन करें, अजिर और अधिराज मिलकर।]
विषय
दुष्ट पुरुषों का वर्णन।
भावार्थ
दूसरे से पाप से अत्याचार करने वाले का और क्या हो सो भी बतलाते हैं। (नः) हमारे (यः) जो (कः च) कोई भी पुरुष (अभि-अघायति) साक्षात् रूप में हम पर पापकर्म, अत्याचार क्रूरता और असत्य दम्भ, गर्व आदि में आकर अपनी बुरी स्वार्थ भरी चेष्टाएं करना चाहता है (पृतन्यतः) सेना-बल से हम पर आक्रमण करते हुए उसके युद्ध के सामर्थ्य, सेना बल का (अजिर-अधिराजौ) अजिर और अधिराज अर्थात् शत्रु का प्रतिस्पर्धी राजा और इससे भी अधिक बलशाली मध्यस्थ राजा, मित्र राजा और पार्ष्णिग्रह दोनों मिल कर (सम्-पात्तिनौ) झपटते हुए दो (श्येनौ इव) बाजों के समान (हतां) विनाश करें।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अथर्वा ऋषिः। श्येन उत मन्त्रोक्ता देवता॥ १ त्रिष्टुप्। अत्तिजगतीगर्भा जगती। ३-५ अनुष्टुभः (३ पुरः ककुम्मती)॥ पञ्चर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Nip the Enemy
Meaning
Like two royal eagles pouncing upon the prey, let the supreme ruler and the supreme commander of the forces destroy the means, materials and forces of the enemy that attacks us.
Translation
May the two overlords, excellently mobile like two eagles swooping simultaneously on their prey, destroy the purified butter of the enemy, who invades us and whoever wants to commit sin against us.
Comments / Notes
MANTRA NO 7.73.3AS PER THE BOOK
Translation
These two, the calamity of disease and death which are very swift in their attack, like the falcon sweeping on prey destroy the knowledge and effort of the man who is fighting the battle of life in the world and whoever is designing to inflict injury on us.
Translation
Let Death and Poverty, like two falcons swooping on their prey, destroy the strength of the foe who attacks us with an army, or entertains evil designs against us.
Footnote
Sayana interprets अजिर and अधिराज as two messengers of death.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
३−(अजिराधिराजौ) अजिरशिशिरशिथिल०। उ० १।५३। अज गतिक्षेपणयोः-किरच्। अजिरः शीघ्रगामी। अधिराजः। राजाहःसखिभ्यष्टच् पा० ५।४।९१। इति टच्। अधिको राजा। तौ निर्ऋतिमृत्यू (श्येनौ) अ० ३।३।३। पक्षिविशेषौ (सम्पातिनौ) निष्पतनशीलौ (इव) यथा (आज्यम्) घृतम्। तत्त्वपदार्थम् (पृतन्यतः) अ० १।२१।२। सङ्ग्रामेच्छोः (हताम्) नाशयताम् (यः) (नः) अस्मान् (कः च) कश्चित् (अभ्यघायति) अ० ५।६।९। पापं कर्तुमिच्छति ॥
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