Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 23/ मन्त्र 33
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - विद्वांसो देवता छन्दः - उष्णिक् स्वरः - ऋषभः
    1

    गा॒य॒त्री त्रि॒ष्टुब्जग॑त्यनु॒ष्टुप्प॒ङ्क्त्या स॒ह।बृ॒ह॒त्युष्णिहा॑ क॒कुप्सू॒चीभिः॑ शम्यन्तु त्वा॥३३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    गा॒य॒त्री। त्रि॒ष्टुप्। त्रि॒स्तुबिति॑ त्रि॒ऽस्तुप्। जग॑ती। अ॒नु॒ष्टुप्। अ॒नु॒स्तुबित्य॑नु॒ऽस्तुप्। प॒ङ्क्त्या। स॒ह। बृ॒ह॒ती। उ॒ष्णिहा॑। क॒कुप्। सू॒चीभिः॑। श॒म्य॒न्तु॒। त्वा॒ ॥३३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    गायत्री त्रिष्टुब्जगत्यनुष्टुप्पङ्क्त्या सह । बृहत्युष्णिहा ककुप्सूचीभिः शम्यन्तु त्वा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    गायत्री। त्रिष्टुप्। त्रिस्तुबिति त्रिऽस्तुप्। जगती। अनुष्टुप्। अनुस्तुबित्यनुऽस्तुप्। पङ्क्त्या। सह। बृहती। उष्णिहा। ककुप्। सूचीभिः। शम्यन्तु। त्वा॥३३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 23; मन्त्र » 33
    Acknowledgment

    Translation -
    О learned ones, may the gaytri, the tristubh, the jagati, the anustup, along with the pankti, the brhati, the usnik and the kakup metres bring peace to you with their sweet recitations. (1)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top