Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 36/ मन्त्र 19
    ऋषिः - दध्यङ्ङाथर्वण ऋषिः देवता - ईश्वरो देवता छन्दः - पादनिचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
    1

    दृते॒ दृꣳह॑ मा॒। ज्योक्ते॑ सं॒दृशि॑ जीव्यासं॒ ज्योक्ते॑ सं॒दृशि॑ जीव्यासम्॥१९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    दृते॑। दृꣳह॑। मा ॥ ज्योक्। ते॒। सं॒दृशीति॑ स॒म्ऽदृशि॑। जी॒व्या॒स॒म्। ज्योक्। ते॒। संदृशीति॑ स॒म्ऽदृशि॑। जी॒व्या॒स॒म् ॥१९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    दृते दृँह मा । ज्योक्ते सन्दृशि जीव्यासञ्ज्योक्ते सन्दृशि जीव्यासम् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    दृते। दृꣳह। मा॥ ज्योक्। ते। संदृशीति सम्ऽदृशि। जीव्यासम्। ज्योक्। ते। संदृशीति सम्ऽदृशि। जीव्यासम्॥१९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 36; मन्त्र » 19
    Acknowledgment

    Translation -
    O powerful Lord, may you steady me in the calamities. May I live long, beholding you; may I live long beholding you. (1)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top