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  • यजुर्वेद - अध्याय 8/ मन्त्र 9
    ऋषिः - भरद्वाज ऋषिः देवता - गृहपतयो विश्वेदेवा देवताः छन्दः - प्राजापत्या गायत्री,आर्षी उष्णिक्,स्वराट आर्षी पङ्क्ति, स्वरः - पञ्चमः
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    उ॒प॒या॒मगृ॑हीतोऽसि॒ बृह॒स्पति॑सुतस्य देव सोम त॒ऽइन्दो॑रिन्द्रि॒याव॑तः॒ पत्नी॑वतो॒ ग्रहाँ॑२ऽऋध्यासम्। अ॒हं प॒रस्ता॑द॒हम॒वस्ताद् यद॒न्तरि॑क्षं॒ तदु॑ मे पि॒ताभू॑त्। अ॒हꣳ सूर्य॑मुभ॒यतो॑ ददर्शा॒हं दे॒वानां॑ पर॒मं गुहा॒ यत्॥९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒प॒या॒मगृ॑हीत॒ इत्यु॑पया॒मगृ॑हीतः। अ॒सि॒। बृह॒स्पति॑सुत॒स्येति॒ बृह॒स्पति॑ऽसुतस्य। दे॒व॒। सो॒म॒। ते॒। इन्दोः॑। इ॒न्द्रि॒याव॑तः। इ॒न्द्रि॒यव॑त॒ इती॑न्द्रि॒यऽव॑तः। पत्नी॑वत॒ इति॒ पत्नी॑ऽवतः। ग्रहा॑न्। ऋ॒ध्या॒स॒म्। अ॒हम्। प॒रस्ता॑त्। अ॒हम्। अ॒वस्ता॑त्। यत्। अ॒न्तरिक्ष॑म्। तत्। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। मे॒। पि॒ता। अ॒भू॒त्। अ॒हम्। सू॑र्य्यम्। उ॒भ॒यतः॑। द॒द॒र्श॒। अ॒हम्। दे॒वाना॑म्। प॒र॒मम्। गुहा॑। यत् ॥९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उपयामगृहीतो सि बृहस्पतिसुतस्य देव सोम त इन्दोरिन्द्रियावतं पत्नीवतो ग्रहाँ ऋध्यासम् । अहम्परस्तादहमवस्ताद्यदन्तरिक्षन्तदु मे पिताभूत् । अहँ सूर्यमुभयतो ददर्शाहन्देवानां परमङ्गुहा यत् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    उपयामगृहीत इत्युपयामगृहीतः। असि। बृहस्पतिसुतस्येति बृहस्पतिऽसुतस्य। देव। सोम। ते। इन्दोः। इन्द्रियावतः। इन्द्रियवत इतीन्द्रियऽवतः। पत्नीवत इति पत्नीऽवतः। ग्रहान्। ऋध्यासम्। अहम्। परस्तात्। अहम्। अवस्तात्। यत्। अन्तरिक्षम्। तत्। ऊँऽइत्यूँ। मे। पिता। अभूत्। अहम्। सूर्य्यम्। उभयतः। ददर्श। अहम्। देवानाम्। परमम्। गुहा। यत्॥९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 8; मन्त्र » 9
    Acknowledgment

    Translation -
    O devotional bliss, you have been duly accepted. You have been pressed out by the Supreme Lord. O divine bliss, may I increase your libations, which are radiant, full of manly vigour and protective power. (1) I am on the farther side of it; I am on the nearer side of it. The mid-space is my protector father I have seen the sun from its both sides. I have seen that which is the secret-most cave of the bounties of Nature. (2)

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