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ऋग्वेद मण्डल - 1 के सूक्त 21 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 1/ सूक्त 21/ मन्त्र 5
    ऋषिः - मेधातिथिः काण्वः देवता - इन्द्राग्नी छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    ता म॒हान्ता॒ सद॒स्पती॒ इन्द्रा॑ग्नी॒ रक्ष॑ उब्जतम्। अप्र॑जाः सन्त्व॒त्रिणः॑॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ता । म॒हान्ता॑ । सद॒स्पती॒ इति॑ । इन्द्रा॒ग्नी॒ इति॑ । रक्षः॑ । उ॒ब्ज॒त॒म् । अप्र॑जाः । स॒न्तु॒ । अ॒त्रिणः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ता महान्ता सदस्पती इन्द्राग्नी रक्ष उब्जतम्। अप्रजाः सन्त्वत्रिणः॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ता। महान्ता। सदस्पती इति। इन्द्राग्नी इति। रक्षः। उब्जतम्। अप्रजाः। सन्तु। अत्रिणः॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 1; सूक्त » 21; मन्त्र » 5
    अष्टक » 1; अध्याय » 2; वर्ग » 3; मन्त्र » 5

    Meaning -
    Indra and Agni, air and fire, both are great, both protect and illuminate halls and assemblies and destroy sin and evil and the wicked people. Enemies do not last till the next generation if they be friends.

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