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ऋग्वेद मण्डल - 1 के सूक्त 22 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 1/ सूक्त 22/ मन्त्र 1
    ऋषिः - मेधातिथिः काण्वः देवता - अश्विनौ छन्दः - पिपीलिकामध्यानिचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    प्रा॒त॒र्युजा॒ विबो॑धया॒श्विना॒वेह ग॑च्छताम्। अ॒स्य सोम॑स्य पी॒तये॑॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्रा॒तः॒ऽयुजा॑ । वि । बो॒ध॒य॒ । अ॒श्विनौ॑ । आ । इ॒ह । ग॒च्छ॒ता॒म् । अ॒स्य । सोम॑स्य । पी॒तये॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्रातर्युजा विबोधयाश्विनावेह गच्छताम्। अस्य सोमस्य पीतये॥

    स्वर रहित पद पाठ

    प्रातःऽयुजा। वि। बोधय। अश्विनौ। आ। इह। गच्छताम्। अस्य। सोमस्य। पीतये॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 1; सूक्त » 22; मन्त्र » 1
    अष्टक » 1; अध्याय » 2; वर्ग » 4; मन्त्र » 1

    Meaning -
    Ashvins, twin masters of the science of motion, come early morning to this yajna of ours and enlighten us (on knowledge and application, fire and earth, power and gravitation, and acceleration and retardation). Come for the enjoyment, protection and promotion of our yajnic creations.

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