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ऋग्वेद मण्डल - 1 के सूक्त 3 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 1/ सूक्त 3/ मन्त्र 1
    ऋषिः - मधुच्छन्दाः वैश्वामित्रः देवता - अश्विनौ छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    अश्वि॑ना॒ यज्व॑री॒रिषो॒ द्रव॑त्पाणी॒ शुभ॑स्पती। पुरु॑भुजा चन॒स्यत॑म्॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अश्वि॑ना । यज्व॑रीः । इषः॑ । द्रव॑त्पाणी॒ इति॒ द्रव॑त्ऽपाणी । शुभः॑ । प॒ती॒ इति॑ । पुरु॑ऽभुजा । च॒न॒स्यत॑म् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अश्विना यज्वरीरिषो द्रवत्पाणी शुभस्पती। पुरुभुजा चनस्यतम्॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अश्विना। यज्वरीः। इषः। द्रवत्पाणी इति द्रवत्ऽपाणी। शुभः। पती इति। पुरुऽभुजा। चनस्यतम्॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 1; सूक्त » 3; मन्त्र » 1
    अष्टक » 1; अध्याय » 1; वर्ग » 5; मन्त्र » 1

    Meaning -
    Ashvins, fire and water, are powers of the Divine for quick motion through yajnic science. They are sources of splendour, food and energy, comfort and joy. Men of learning and science, let the two be developed in a spirit of delight and dedication.

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