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ऋग्वेद मण्डल - 4 के सूक्त 32 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 4/ सूक्त 32/ मन्त्र 1
    ऋषिः - वामदेवो गौतमः देवता - इन्द्र: छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    आ तू न॑ इन्द्र वृत्रहन्न॒स्माक॑म॒र्धमा ग॑हि। म॒हान्म॒हीभि॑रू॒तिभिः॑ ॥१॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ । तु । नः॒ । इ॒न्द्र॒ । वृ॒त्र॒ऽह॒न् । अ॒स्माक॑म् । अ॒र्धम् । आ । ग॒हि॒ । म॒हान् । म॒हीभिः॑ । ऊ॒तिऽभिः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आ तू न इन्द्र वृत्रहन्नस्माकमर्धमा गहि। महान्महीभिरूतिभिः ॥१॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आ। तु। नः। इन्द्र। वृत्रऽहन्। अस्माकम्। अर्धम्। आ। गहि। महान्। महीभिः। ऊतिऽभिः ॥१॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 4; सूक्त » 32; मन्त्र » 1
    अष्टक » 3; अध्याय » 6; वर्ग » 27; मन्त्र » 1
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