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ऋग्वेद मण्डल - 5 के सूक्त 77 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 5/ सूक्त 77/ मन्त्र 5
    ऋषिः - अत्रिः देवता - अश्विनौ छन्दः - त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    सम॒श्विनो॒रव॑सा॒ नूत॑नेन मयो॒भुवा॑ सु॒प्रणी॑ती गमेम। आ नो॑ र॒यिं व॑हत॒मोत वी॒राना विश्वा॑न्यमृता॒ सौभ॑गानि ॥५॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सम् । अ॒श्विनोः॑ । अव॑सा । नूत॑नेन । म॒यः॒ऽभुवा॑ । सु॒ऽप्रनी॑ती । ग॒मे॒म॒ । आ । नः॒ । र॒यिम् । व॒ह॒त॒म् । आ । उ॒त । वी॒रान् । आ । विश्वा॑नि । अ॒मृ॒ता॒ । सौभ॑गानि ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    समश्विनोरवसा नूतनेन मयोभुवा सुप्रणीती गमेम। आ नो रयिं वहतमोत वीराना विश्वान्यमृता सौभगानि ॥५॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सम्। अश्विनोः। अवसा। नूतनेन। मयःऽभुवा। सुऽप्रनीती। गमेम। आ। नः। रयिम्। वहतम्। आ। उत। वीरान्। आ। विश्वानि। अमृता। सौभगानि ॥५॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 5; सूक्त » 77; मन्त्र » 5
    अष्टक » 4; अध्याय » 4; वर्ग » 18; मन्त्र » 5

    Meaning -
    Let us abide by the noble guidance of the Ashvins and go forward by their latest blissful protection and progress. O leading lights of life, we pray, lead us to the wealth of life and bless us with brave heroes and all the good fortunes of the world and values of immortality.

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