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ऋग्वेद मण्डल - 5 के सूक्त 78 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 5/ सूक्त 78/ मन्त्र 2
    ऋषिः - अत्रिः देवता - अश्विनौ छन्दः - त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    अश्वि॑ना हरि॒णावि॑व गौ॒रावि॒वानु॒ यव॑सम्। हं॒सावि॑व पतत॒मा सु॒ताँ उप॑ ॥२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अश्वि॑ना । ह॒रि॒णौऽइ॑व । गौ॒रौऽइ॑व । अनु॑ । यव॑सम् । हं॒सौऽइ॑व । प॒त॒त॒म् । आ । सु॒तान् । उप॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अश्विना हरिणाविव गौराविवानु यवसम्। हंसाविव पततमा सुताँ उप ॥२॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अश्विना। हरिणौऽइव। गौरौऽइव। अनु। यवसम्। हंसौऽइव। पततम्। आ। सुतान्। उप ॥२॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 5; सूक्त » 78; मन्त्र » 2
    अष्टक » 4; अध्याय » 4; वर्ग » 19; मन्त्र » 2

    Meaning -
    Ashvins, twin harbingers and sharers of divine love and joy, come like a couple of golden deer, like a pair of white fawns to the cherished green, fly like a couple of swans hither to share the distilled soma of joys with us.

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