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ऋग्वेद मण्डल - 6 के सूक्त 55 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 6/ सूक्त 55/ मन्त्र 2
    ऋषिः - भरद्वाजो बार्हस्पत्यः देवता - पूषा छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    र॒थीत॑मं कप॒र्दिन॒मीशा॑नं॒ राध॑सो म॒हः। रा॒यः सखा॑यमीमहे ॥२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    र॒थिऽत॑मम् । क॒प॒र्दिन॑म् । ईशा॑नम् । राध॑सः । म॒हः । रा॒यः । सखा॑यम् । ई॒म॒हे॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    रथीतमं कपर्दिनमीशानं राधसो महः। रायः सखायमीमहे ॥२॥

    स्वर रहित पद पाठ

    रथिऽतमम्। कपर्दिनम्। ईशानम्। राधसः। महः। रायः। सखायम्। ईमहे ॥२॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 6; सूक्त » 55; मन्त्र » 2
    अष्टक » 4; अध्याय » 8; वर्ग » 21; मन्त्र » 2

    Meaning -
    We adore the highest chariot hero of flying hair, our friend and saviour, great ruler and ordainer of the wealth of existence and pray to him for wealth and power for advancement in life.

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