ऋग्वेद - मण्डल 6/ सूक्त 61/ मन्त्र 4
ऋषिः - भरद्वाजो बार्हस्पत्यः
देवता - सरस्वती
छन्दः - निचृद्गायत्री
स्वरः - षड्जः
प्र णो॑ दे॒वी सर॑स्वती॒ वाजे॑भिर्वा॒जिनी॑वती। धी॒नाम॑वि॒त्र्य॑वतु ॥४॥
स्वर सहित पद पाठप्र । नः॒ । दे॒वी । सर॑स्वती । वाजे॑भिः । वा॒जिनी॑ऽवती । धी॒नाम् । अ॒वि॒त्री । अ॒व॒तु॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
प्र णो देवी सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती। धीनामवित्र्यवतु ॥४॥
स्वर रहित पद पाठप्र। नः। देवी। सरस्वती। वाजेभिः। वाजिनीऽवती। धीनाम्। अवित्री। अवतु ॥४॥
ऋग्वेद - मण्डल » 6; सूक्त » 61; मन्त्र » 4
अष्टक » 4; अध्याय » 8; वर्ग » 30; मन्त्र » 4
अष्टक » 4; अध्याय » 8; वर्ग » 30; मन्त्र » 4
Meaning -
May Sarasvati, bright mother of divine light and knowledge, overflowing with streams of wealth, honour and spirit, protector and promoter of intelligence, will and enlightened action, save us from darkness and evil and advance us into the light of life.