Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 7 के सूक्त 17 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 17/ मन्त्र 1
    ऋषिः - वसिष्ठः देवता - अग्निः छन्दः - आर्च्युष्णिक् स्वरः - ऋषभः

    अग्ने॒ भव॑ सुष॒मिधा॒ समि॑द्ध उ॒त ब॒र्हिरु॑र्वि॒या वि स्तृ॑णीताम् ॥१॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अग्ने॑ । भव॑ । सु॒ऽस॒मिधा॑ । सम्ऽइ॑द्धः । उ॒त । ब॒र्हिः । उ॒र्वि॒या । वि । स्तृ॒णी॒ता॒म् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अग्ने भव सुषमिधा समिद्ध उत बर्हिरुर्विया वि स्तृणीताम् ॥१॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अग्ने। भव। सुऽसमिधा। सम्ऽइद्धः। उत। बर्हिः। उर्विया। वि। स्तृणीताम् ॥१॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 17; मन्त्र » 1
    अष्टक » 5; अध्याय » 2; वर्ग » 23; मन्त्र » 1

    Meaning -
    Agni, O leading light, O brilliant seeker, O fire divine of yajna, be kindled with the holy fuel offered, and let the heat and light and fragrance of life spread over the wide earth, the skies and the vast spaces.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top