ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 21/ मन्त्र 3
आ या॑ही॒म इन्द॒वोऽश्व॑पते॒ गोप॑त॒ उर्व॑रापते । सोमं॑ सोमपते पिब ॥
स्वर सहित पद पाठआ । या॒हि॒ । इ॒मे । इन्द॑वः । अश्व॑ऽपते । गोऽप॑ते । उर्व॑राऽपते । सोम॑म् । सो॒म॒ऽप॒ते॒ । पि॒ब॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
आ याहीम इन्दवोऽश्वपते गोपत उर्वरापते । सोमं सोमपते पिब ॥
स्वर रहित पद पाठआ । याहि । इमे । इन्दवः । अश्वऽपते । गोऽपते । उर्वराऽपते । सोमम् । सोमऽपते । पिब ॥ ८.२१.३
ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 21; मन्त्र » 3
अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 1; मन्त्र » 3
अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 1; मन्त्र » 3
Meaning -
Come lord of cows, horses and fertile lands, giver and protector of the nation and its glory, knowledge and wisdom and our creative activities, the somas of our success are for you to appreciate. O lord of life and life’s joy of soma, come and join the ecstasy of our achievement and its celebration.