Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 8 के सूक्त 25 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 25/ मन्त्र 2
    ऋषिः - विश्वमना वैयश्वः देवता - मित्रावरुणौ छन्दः - निचृदुष्णिक् स्वरः - ऋषभः

    मि॒त्रा तना॒ न र॒थ्या॒३॒॑ वरु॑णो॒ यश्च॑ सु॒क्रतु॑: । स॒नात्सु॑जा॒ता तन॑या धृ॒तव्र॑ता ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मि॒त्रा । तना॑ । न । र॒थ्या॑ । वरु॑णः । यः । च॒ । सु॒ऽक्रतुः॑ । स॒नात् । सु॒ऽजा॒ता । तन॑या । धृ॒तऽव्र॑ता ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मित्रा तना न रथ्या३ वरुणो यश्च सुक्रतु: । सनात्सुजाता तनया धृतव्रता ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    मित्रा । तना । न । रथ्या । वरुणः । यः । च । सुऽक्रतुः । सनात् । सुऽजाता । तनया । धृतऽव्रता ॥ ८.२५.२

    ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 25; मन्त्र » 2
    अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 21; मन्त्र » 2

    Meaning -
    Mitra of the noble chariot, and Varuna who too is a noble performer of yajnic actions, both are leaders like charioteers of the nation who develop and expand the socio-cultural wealth and vision of humanity. They are nobly born and brought up and trained, children of humanity for all time dedicated to the sacred laws and discipline of life.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top