ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 41/ मन्त्र 6
परि॑ णः शर्म॒यन्त्या॒ धार॑या सोम वि॒श्वत॑: । सरा॑ र॒सेव॑ वि॒ष्टप॑म् ॥
स्वर सहित पद पाठपरि॑ । नः॒ । श॒र्म॒ऽयन्त्या॑ । धार॑या । सो॒म॒ । वि॒श्वतः॑ । सर॑ । र॒साऽइ॑व । वि॒ष्टप॑म् ॥
स्वर रहित मन्त्र
परि णः शर्मयन्त्या धारया सोम विश्वत: । सरा रसेव विष्टपम् ॥
स्वर रहित पद पाठपरि । नः । शर्मऽयन्त्या । धारया । सोम । विश्वतः । सर । रसाऽइव । विष्टपम् ॥ ९.४१.६
ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 41; मन्त्र » 6
अष्टक » 6; अध्याय » 8; वर्ग » 31; मन्त्र » 6
अष्टक » 6; अध्याय » 8; वर्ग » 31; मन्त्र » 6
Meaning -
O Soma, spirit of beauty, bliss and peace, just as the universe from centre to summit abounds in the beauty and majesty of divinity, so let us all in heart and soul be blest with showers of peace and pleasure of total well-being from all around our life in space and time.