Loading...
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 67/ मन्त्र 2
    ऋषिः - भरद्वाजः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    त्वं सु॒तो नृ॒माद॑नो दध॒न्वान्म॑त्स॒रिन्त॑मः । इन्द्रा॑य सू॒रिरन्ध॑सा ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्वम् । सु॒तः । नृ॒ऽमाद॑नः । द॒ध॒न्वान् । म॒त्स॒रिन्ऽत॑मः । इन्द्रा॑य । सू॒रिः । अन्ध॑सा ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्वं सुतो नृमादनो दधन्वान्मत्सरिन्तमः । इन्द्राय सूरिरन्धसा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    त्वम् । सुतः । नृऽमादनः । दधन्वान् । मत्सरिन्ऽतमः । इन्द्राय । सूरिः । अन्धसा ॥ ९.६७.२

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 67; मन्त्र » 2
    अष्टक » 7; अध्याय » 2; वर्ग » 13; मन्त्र » 2

    Meaning -
    You, self-existent spirit, distilled and realised in meditative yajna, are the giver of joy to humanity, most ecstatic sustaining power of affirmation, creative, brave and life-giving inspiration for the honour and dignity of the soul for humanity.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top