Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 3/ मन्त्र 8
    ऋषिः - सर्पराज्ञी कद्रूर्ऋषिः देवता - अग्निर्देवता छन्दः - गायत्री, स्वरः - षड्जः
    5

    त्रि॒ꣳश॒द्धाम॒ विरा॑जति॒ वाक् प॑त॒ङ्गाय॑ धीयते। प्रति॒ वस्तो॒रह॒ द्युभिः॑॥८॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्रि॒ꣳशत्। धाम॑। वि। रा॒ज॒ति॒। वाक्। प॒त॒ङ्गाय॑। धी॒य॒ते॒। प्रति॑। वस्तोः॑। अह॑। द्युभि॒रिति॒ द्युऽभिः॑ ॥८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्रिँशद्धाम विराजति वाक्पतङ्गाय धीयते । प्रति वस्तोरह द्युभिः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    त्रिꣳशत्। धाम। वि। राजति। वाक्। पतङ्गाय। धीयते। प्रति। वस्तोः। अह। द्युभिरिति द्युऽभिः॥८॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 3; मन्त्र » 8
    Acknowledgment

    Meaning -
    Gods word rules supreme throughout the world. The Vedas are recited for acquiring the knowledge of God. We should resolutely recite and understand the Vedas everyday with their illuminating sayings.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top