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  • यजुर्वेद - अध्याय 10/ मन्त्र 26
    ऋषिः - शुनःशेप ऋषिः देवता - वरुणो देवता छन्दः - भूरिक अनुष्टुप्, स्वरः - गान्धारः
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    स्यो॒नासि॑ सु॒षदा॑सि क्ष॒त्रस्य॒ योनि॑रसि। स्यो॒नामासी॑द सु॒षदा॒मासी॑द क्ष॒त्रस्य॒ योनि॒मासी॑द॥२६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स्यो॒ना। अ॒सि॒। सु॒षदा॑। सु॒सदेति॑ सु॒ऽसदा॑। अ॒सि॒। क्ष॒त्रस्य॑। योनिः॑। अ॒सि॒। स्यो॒नाम्। आ। सी॒द॒। सु॒षदा॑म्। सु॒सदा॒मिति॑ सु॒ऽसदा॑म्। आ। सी॒द॒। क्ष॒त्रस्य॑। योनि॑म्। आ। सी॒द॒ ॥२६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स्योनासि सुषदासि क्षत्रस्य योनिरसि स्योनामासीद सुषदामासीद क्षत्रस्य योनिमासीद ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    स्योना। असि। सुषदा। सुसदेति सुऽसदा। असि। क्षत्रस्य। योनिः। असि। स्योनाम्। आ। सीद। सुषदाम्। सुसदामिति सुऽसदाम्। आ। सीद। क्षत्रस्य। योनिम्। आ। सीद॥२६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 10; मन्त्र » 26
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    Meaning -
    Woman of power: You are the beauty and grace of life, giver of peace and joy, and mother-maker of the nation. Come, take up your office of dignity to create joy and comfort for the people around and do justice to the judgement seat of the nation.

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