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  • यजुर्वेद - अध्याय 6/ मन्त्र 35
    ऋषिः - मधुच्छन्दा ऋषिः देवता - द्यावापृथिव्यौ देवते छन्दः - भूरिक् आर्षी अनुष्टुप्, स्वरः - गान्धारः
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    मा भे॒र्मा संवि॑क्था॒ऽऊर्जं॑ धत्स्व॒ धिष॑णे वी॒ड्वी स॒ती वी॑डयेथा॒मूर्जं॑ दधाथाम्। पा॒प्मा ह॒तो न सोमः॑॥३५॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मा। भेः॒। मा। सम्। वि॒क्थाः॒। ऊर्ज॑म्। ध॒त्स्व॒। धिष॑णे॒ऽइति॑ धिष॑णे। वीड्वीऽइति॑ वी॒ड्वी। स॒ती॑ऽइति॑ स॒ती। वी॒ड॒ये॒था॒म्। ऊ॑र्जम्। द॒धा॒था॒म्। पा॒प्मा। ह॒तः। न। सोमः॑ ॥३५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मा भेर्मा सँविक्था ऊर्जन्धत्स्व धिषणे वीड्वी सती वीडयेथामूर्जन्दधाथाम् । पाप्मा हतो न सोमः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    मा। भेः। मा। सम्। विक्थाः। ऊर्जम्। धत्स्व। धिषणेऽइति धिषणे। वीड्वीऽइति वीड्वी। सतीऽइति सती। वीडयेथाम्। ऊर्जम्। दधाथाम्। पाप्मा। हतः। न। सोमः॥३५॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 6; मन्त्र » 35
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    Meaning -
    Woman, wise and intelligent, fear not, nor tremble; take heart and be bold of heart and soul. You being strong and standing by your husband, both of you collect strength and firmness of body, mind and soul. Eliminate evil and sin, and shine happy and blessed like the moon.

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