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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1362
ऋषिः - मेध्यातिथिः काण्वः
देवता - इन्द्रः
छन्दः - बार्हतः प्रगाथः (विषमा बृहती, समा सतोबृहती)
स्वरः - मध्यमः
काण्ड नाम -
5
उ꣢दु꣣ त्ये꣡ मधु꣢꣯मत्तमा꣣ गि꣢रः꣣ स्तो꣡मा꣢स ईरते । स꣣त्राजि꣡तो꣢ धन꣣सा꣡ अक्षि꣢꣯तोतयो वाज꣣य꣢न्तो꣣ र꣡था꣢ इव ॥१३६२॥
स्वर सहित पद पाठउ꣢त् । उ꣣ । त्ये꣢ । म꣡धु꣢꣯मत्तमाः । गि꣡रः꣢꣯ । स्तो꣡मा꣢꣯सः । ई꣣रते । सत्राजि꣡तः꣢ । स꣣त्रा । जि꣡तः꣢꣯ । ध꣣नसाः꣢ । ध꣣न । साः꣢ । अ꣡क्षि꣢꣯तोतयः । अ꣡क्षि꣢꣯त । ऊ꣣तयः । वाजय꣡न्तः꣢ । र꣡था꣢꣯ । इ꣣व ॥१३६२॥
स्वर रहित मन्त्र
उदु त्ये मधुमत्तमा गिरः स्तोमास ईरते । सत्राजितो धनसा अक्षितोतयो वाजयन्तो रथा इव ॥१३६२॥
स्वर रहित पद पाठ
उत् । उ । त्ये । मधुमत्तमाः । गिरः । स्तोमासः । ईरते । सत्राजितः । सत्रा । जितः । धनसाः । धन । साः । अक्षितोतयः । अक्षित । ऊतयः । वाजयन्तः । रथा । इव ॥१३६२॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1362
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 6; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 11; खण्ड » 2; सूक्त » 3; मन्त्र » 1
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(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 6; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 11; खण्ड » 2; सूक्त » 3; मन्त्र » 1
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विषय - प्रथम ऋचा की व्याख्या पूर्वार्चिक में २५१ क्रमाङ्क पर स्तोत्रों के विषय में की गयी थी। यहाँ स्तोताओं का विषय वर्णित है।
पदार्थ -
(सत्राजितः) सत्य को जीतनेवाले, (धनसाः) भौतिक और आध्यात्मिक धन की प्राप्ति तथा दान करनेवाले (त्ये) वे (मधुमत्तमाः) अतिशय मधुर व्यवहारवाले, (स्तोमासः) स्तोता (गिरः) विद्वान् लोग (रथाः इव) विमान यानों के समान (उदीरते उ) उपर जाते हैं अर्थात् उद्यमी होते हैं ॥१॥ यहाँ उपमालङ्कार है ॥१॥
भावार्थ - परमात्मा के उपासक मन, वाणी और कर्म से सच्चे, परोपकारी, मधुर, बलवान् और पुरुषार्थी होकर अपनी और दूसरों की उन्नति करते हैं ॥१॥
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