Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1061
ऋषिः - जमदग्निर्भार्गवः
देवता - पवमानः सोमः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
3
ए꣣ते꣡ सोमा꣢꣯ असृक्षत गृणा꣣नाः꣡ शव꣢꣯से म꣣हे꣢ । म꣣दि꣡न्त꣢मस्य꣣ धा꣡र꣢या ॥१०६१॥
स्वर सहित पद पाठए꣣ते꣢ । सो꣡माः꣢꣯ । अ꣢सृक्षत । गृणानाः꣢ । श꣡व꣢꣯से । म꣣हे꣢ । म꣣दि꣡न्त꣢मस्य । धा꣡र꣢꣯या ॥१०६१॥
स्वर रहित मन्त्र
एते सोमा असृक्षत गृणानाः शवसे महे । मदिन्तमस्य धारया ॥१०६१॥
स्वर रहित पद पाठ
एते । सोमाः । असृक्षत । गृणानाः । शवसे । महे । मदिन्तमस्य । धारया ॥१०६१॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1061
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 6; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 7; खण्ड » 2; सूक्त » 3; मन्त्र » 1
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 6; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 7; खण्ड » 2; सूक्त » 3; मन्त्र » 1
Acknowledgment
पदार्थ -
(एते सोमाः-गृणानाः-असृक्षत) यह स्तुति किया जाता हुआ शान्तस्वरूप परमात्मा*34 साक्षात् किया जाता है (महे शवसे) महान् आत्मबल प्राप्ति के लिए (मदिन्तमस्य धारया) अत्यन्त हर्षप्रद परमात्मा की धारणा से या स्तुतिवाणी से॥१॥
टिप्पणी -
[*34. बहुवचनमादरार्थम्।]
विशेष - ऋषिः—जमदग्निः (प्रज्वलित ज्ञानाग्नि वाला)॥ देवता—सोमः (शान्तस्वरूप परमात्मा)॥ छन्दः—गायत्री॥<br>
इस भाष्य को एडिट करें