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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1068
ऋषिः - वसिष्ठो मैत्रावरुणिः
देवता - आदित्याः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
7
रा꣣या꣡ हि꣢रण्य꣣या꣢ म꣣ति꣢रि꣣य꣡म꣢वृ꣣का꣢य꣣ श꣡व꣢से । इ꣣यं꣡ विप्रा꣢꣯ मे꣣ध꣡सा꣢तये ॥१०६८॥
स्वर सहित पद पाठरा꣡या꣢ । हि꣣रण्यया꣢ । म꣣तिः꣢ । इ꣣य꣢म् । अ꣣वृका꣡य꣢ । अ꣣ । वृका꣡य꣢ । श꣡व꣢꣯से । इ꣣य꣢म् । वि꣡प्रा꣢꣯ । वि । प्रा꣣ । मेध꣡सा꣢तये । मे꣣ध꣢ । सा꣣तये ॥१०६८॥
स्वर रहित मन्त्र
राया हिरण्यया मतिरियमवृकाय शवसे । इयं विप्रा मेधसातये ॥१०६८॥
स्वर रहित पद पाठ
राया । हिरण्यया । मतिः । इयम् । अवृकाय । अ । वृकाय । शवसे । इयम् । विप्रा । वि । प्रा । मेधसातये । मेध । सातये ॥१०६८॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1068
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 8; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 7; खण्ड » 3; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
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(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 8; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 7; खण्ड » 3; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
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पदार्थ -
(विप्राः) हे विशेष कामनापूरक मित्र वरुण अर्यमा ‘आदित्य’ प्रेरक वरण करने वाले अखण्ड सुखसम्पत्ति के स्वामी परमात्मन्! (इयं मतिः) यह तेरी स्तुति*43 (हिरण्यया राया) सुनहरी धन—अध्यात्मज्ञान धन के साथ (अवृकाय शवसे) अहिंसक बल—शान्तिप्रसारक बल—अध्यात्मबल के लिए*44 (इयं मेधसातये) यह स्तुति अध्यात्मयज्ञ की*45 सम्पन्नता के लिए सिद्ध हो॥२॥
टिप्पणी -
[*43. “मन्यते-अर्चतिकर्मा” [निघं॰ ३.१४]।] [*44. “शवः-बलनाम” [निघं॰ २.९]।] [*45. “मेधो यज्ञनाम” [निघं॰ ३.१७]।]
विशेष - <br>
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