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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 5
ऋषिः - उशना काव्यः
देवता - अग्निः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम - आग्नेयं काण्डम्
15
प्रे꣡ष्ठं꣢ वो꣣ अ꣡ति꣢थिꣳ स्तु꣣षे꣢ मि꣣त्र꣡मि꣢व प्रि꣣य꣢म् । अ꣢ग्ने꣣ र꣢थं꣣ न꣡ वेद्य꣢꣯म् ॥५॥
स्वर सहित पद पाठप्रे꣡ष्ठ꣢꣯म् । वः꣣ । अ꣡ति꣢꣯थिम् । स्तु꣣षे꣢ । मि꣣त्र꣢म् । मि꣣ । त्र꣢म् । इ꣣व । प्रिय꣢म् । अ꣡ग्ने꣢꣯ । र꣡थ꣢꣯म् । न । वे꣡द्य꣢꣯म् ॥५॥
स्वर रहित मन्त्र
प्रेष्ठं वो अतिथिꣳ स्तुषे मित्रमिव प्रियम् । अग्ने रथं न वेद्यम् ॥५॥
स्वर रहित पद पाठ
प्रेष्ठम् । वः । अतिथिम् । स्तुषे । मित्रम् । मि । त्रम् । इव । प्रियम् । अग्ने । रथम् । न । वेद्यम् ॥५॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 5
(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 1; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » 1; मन्त्र » 5
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 1; खण्ड » 1;
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(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 1; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » 1; मन्त्र » 5
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 1; खण्ड » 1;
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पदार्थ -
(अग्ने) हे ज्ञानप्रकाशस्वरूप परमात्मन्! (वः) तुझ ‘वः-त्वाम्-व्यत्ययेन बहुवचनम्’ (मित्रम्-इव प्रियम्) मित्र-समान प्रिय को (वेद्यं रथं न) वेदि—पृथिवी “पृथिवी वै वेदिः” [ऐ॰ ५.२८] पर रमण करने योग्य प्रिय रथ की भाँति “न उपमार्थे” (निरु॰ १.४) मेरे अन्तःकरण में रमण करने वाले (प्रेष्ठम्—अतिथिम्) मित्र और रथ से भी प्रिय अतिथिदेव की (स्तुषे) मैं स्तुति करता हूँ।
भावार्थ - परमात्मन्! तू मेरा प्रियतम अतिथि है, तू मेरे हृदय गृह में या अन्तःकरण सदन में आता है, परमात्मन्! तुझे रथ प्रिय है और मुझे उससे भी अधिक प्रिय है वह तो प्रियतर है, मेरा रथ है मेरा शरीर “यदनो वा रथं वा शरीरम्” [मै॰ ४.८.३] मेरा मित्र है मेरा प्राण “प्राणो मित्रम्” [जै॰ उ॰ ३.१.३.६] परन्तु परमात्मन्! तू मेरे शरीर और प्राण से भी अत्यन्त प्रिय है मैं तेरी स्नेहपूर्ण स्तुति करता हूँ। लौकिक रथ प्यारा है देह का सहारा है लौकिक मित्र प्यारा है मन का सहारा है परमात्मन्! तू अत्यन्त प्यारा है, आत्मा का सहारा है अतः मेरा अतिथि बनजा मेरे शरीर में नस नस में बसजा मेरे प्राण में रमजा मुझ आत्मा में समा जा, तू लेने वाला अतिथि नहीं तू तो लाने वाला अतिथि है अतएव तू अत्यन्त प्यारा है स्तुति लेजा शान्तिप्रसाद देजा॥५॥
टिप्पणी -
[*3. “वश कान्तौ” (अदादि०) “वशेः कनसि” (उणा॰ ४.२३४) उशनाः॥]
विशेष - ऋषिः—उशनाः (अपने कल्याणार्थ परमात्मसङ्गति को चाहने वाला*3)॥<br>
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