Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1157
ऋषिः - पर्वतनारदौ काण्वौ शिखण्डिन्यावप्सरसौ काश्यपौ वा
देवता - पवमानः सोमः
छन्दः - उष्णिक्
स्वरः - ऋषभः
काण्ड नाम -
4
स꣡खा꣢य꣣ आ꣡ नि षी꣢꣯दत पुना꣣ना꣢य꣣ प्र꣡गा꣢यत । शि꣢शुं꣣ न꣢ य꣣ज्ञैः꣡ परि꣢꣯ भूषत श्रि꣣ये꣢ ॥११५७॥
स्वर सहित पद पाठस꣡खा꣣यः । स । खा꣣यः । आ꣢ । नि । सी꣣दत । पुनाना꣡य꣢ । प्र । गा꣣यत । शि꣡श꣢꣯म् । न । य꣣ज्ञैः꣢ । प꣡रि꣢꣯ । भू꣣षत । श्रिये꣢ ॥११५७॥
स्वर रहित मन्त्र
सखाय आ नि षीदत पुनानाय प्रगायत । शिशुं न यज्ञैः परि भूषत श्रिये ॥११५७॥
स्वर रहित पद पाठ
सखायः । स । खायः । आ । नि । सीदत । पुनानाय । प्र । गायत । शिशम् । न । यज्ञैः । परि । भूषत । श्रिये ॥११५७॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1157
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 9; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 8; खण्ड » 5; सूक्त » 1; मन्त्र » 1
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 9; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 8; खण्ड » 5; सूक्त » 1; मन्त्र » 1
Acknowledgment
Meaning -
Come friends, sit on the yajna vedi, sing and celebrate Soma, pure and purifying spirit of life, and with yajna exalt him like an adorable power for the grace and glory of life. (Rg. 9-104-1)