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सामवेद के मन्त्र

सामवेद - मन्त्रसंख्या 1367
ऋषिः - अग्नयो धिष्ण्या ऐश्वराः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - द्विपदा विराट् पङ्क्तिः स्वरः - पञ्चमः काण्ड नाम -
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प꣢रि꣣ प्र꣡ ध꣢न्वे꣡न्द्राय सोम स्वादुर्मित्राय पूष्णे भगाय ॥१३६७॥

स्वर सहित पद पाठ

प꣢रि꣣ । प्र꣡ । ध꣢न्व꣡ । इ꣡न्द्रा꣢꣯य । सो꣣म । स्वादुः꣢ । मि꣣त्रा꣡य꣢ । मि꣣ । त्रा꣡य꣢꣯ । पू꣣ष्णे꣢ । भ꣡गा꣢꣯य ॥१३६७॥


स्वर रहित मन्त्र

परि प्र धन्वेन्द्राय सोम स्वादुर्मित्राय पूष्णे भगाय ॥१३६७॥


स्वर रहित पद पाठ

परि । प्र । धन्व । इन्द्राय । सोम । स्वादुः । मित्राय । मि । त्राय । पूष्णे । भगाय ॥१३६७॥

सामवेद - मन्त्र संख्या : 1367
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 8; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 11; खण्ड » 2; सूक्त » 5; मन्त्र » 1
Acknowledgment

Meaning -
O Soma, come and inspire as the most delicious psychic and spiritual experience for the soul and the nation, for friends, for the sustaining guardians and for the spirit of honour and glory of humanity. (Rg. 9-109-1)

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